रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट– राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जहां सरकार गरीबों के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम कर रही है वहीं दूसरी ओर कोटेदारों की मनमानी के चलते इन गरीब लोगों को खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते इन गरीब लोगों का परिवार भुखमरी की कगार पर खड़ा है। कोटेदारों की मनमानी इस कदर हावी है कि गांव के गरीब अनपढ़ लोगों को ऑनलाइन व आधार लिंक का बहाना बनाकर खाद्यान्न देने से मना करते हैं जिसके कारण गरीब मायूस होकर बिना खाद्यान्न लिए वापस चले जाते हैं l
ऐसा ही मामला सामने आया है मानिकपुर नगर पंचायत के वार्ड बाल्मीकि नगर पश्चिमी रामना मोहल्ला निवासी हीरामनी का l
हीरामनी पत्नी अशोक कोल निवासी रामना मोहल्ला बाल्मीकि नगर पश्चिमी मानिकपुर ने कोटेदार श्याम साहू पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोटेदार द्वारा खाद्यान्न सामग्री नहीं दी जा रही है जिसके चलते हम अपने बच्चों का भरण पोषण करने में असमर्थ हैं।
हीरामनी ने बताया कि मेरे पति की मृत्यु कुछ माह पहले हो चुकी है जिसके कारण परिवार के भरण-पोषण में भारी दिक्कतें हो रही हैं हीरामणि ने बताया कि मेरा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र गृहस्थी का राशन कार्ड बना हुआ है जिसमें लगभग 7 यूनिट थी जिसमें दो बेटियों की शादी हो जाने व पति के मृत्यु हो जाने के बाद तीन यूनिट खाद्यान्न कम हो गया है लेकिन कोटेदार द्वारा 6 यूनिट का खाद्यान्न काटकर सिर्फ एक यूनिट का खाद्यान्न दिया जा रहा है जब इस बारे में कोटेदार से कहा जाता है तो वह डांट डपट कर भगा देता है और कहता है कि यहां मत आओ कर्वी जाओ वहीं पर ऑनलाइन होगा तभी गल्ला मिल पाएगा l
हीरामनी ने बताया कि मैं एक अनुसूचित जाति की गरीब आदिवासी महिला हूं जिसके पति की मृत्यु कुछ माह पहले हो चुकी है व छोटे-छोटे बच्चे होने के चलते वह पति की मृत्यु हो जाने के कारण इन नौनिहालों के भरण पोषण हेतु भारी मुश्किलें हो रही हैं लेकिन कोटेदार की मनमानी भी हम गरीबों पर भारी पड़ रही है अनपढ़ होने के चलते कोटेदार अपनी मनमानी करते हुए नजर आता है कोटेदार का जब मन होता है तब खाद्यान्न देता है जब मन नहीं होता है तब खाद्यान्न नहीं देता है हीरामनी ने बताया कि पिछले माह कोटेदार ने गल्ला दिया था लेकिन इस बार सिर्फ एक यूनिट गल्ला देकर कहा कि अब नहीं मिलेगा l
गरीब आदिवासी महिला हीरामनी ने बताया कि पति की मृत्यु हो जाने के कारण परिवार के भरण पोषण का अन्य कोई साधन नहीं है राशन कार्ड द्वारा मिल रहे गल्ले से नन्ने मन्ने नौनिहालों का पेट भर रही थी लेकिन कोटेदार द्वारा गल्ला नहीं दिए जाने के कारण आज मेरे छोटे छोटे नौनिहाल बच्चे भुखमरी कगार पर खड़े हैं l
सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां सरकार खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाने का काम कर रही है वहीं दूसरी ओर कोटेदार की मनमानी के चलते गरीब महिला को खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है l
आखिर ऐसे लापरवाह कोटेदार के ऊपर जिला पूर्ति अधिकारी व जिलाधिकारी महोदय कब कार्यवाही करने का काम करेंगे l