रिपोर्ट-संजय सिंह राणा
चित्रकूट – प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती पर नौजवान भारत सभा द्वारा भैरमपुर में सभा कर लोगों को जाति-तोड़क भोज आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘अभी लड़ाई जारी है’ से की गई।
सभा में बात रखते हुए प्रसेन ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को सतारा ज़िले के नायगांव में हुआ था। आज से 174 साल पहले ब्राह्मणवादी ताकतों से वैर मोल लेकर पुणे के भिडे वाडा में सावित्री बाई और ज्योतिराव फुले ने लड़कियों के लिए स्कूल खोला था।
मनुस्मृति के अघोषित शिक्षाबन्दी कानून के विरूद्ध यह घटना के जोरदार विद्रोह था। इस संघर्ष के दौरान उन पर पत्थर, गोबर, मिट्टी तक फेंके गये पर सावित्रीबाई ने शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य बिना रूके किया।
नौजवान भारत सभा के सुरेश ने कहा कि आज शिक्षा का पहले के मुकाबले ज्यादा प्रसार हुआ है। पर फिर भी व्यापक गरीब आबादी आज भी वंचित है और दलित उसमें भी अतिवंचित हैं। स्वतंत्रता के बाद राज्यसत्ता ने शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी से हाथ ऊपर कर लिये और 1991 की निजीकरण, उदारीकरण की नीतियों के बाद तो उसे पूरी तरह बाजार में लाकर छोड़ दिया है।
सरकारी स्कूलों की दुव्र्यवस्था व निजी स्कूलों व विश्वविद्यालयों के मनमाने नियमों व अत्यधिक आर्थिक शोषण के कारण पहले ही दूर रही शिक्षा सामान्य गरीबों की क्षमता से बाहर चली गयी है। आज एक आम इंसान अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना तो सपने में भी नहीं सोच सकता। स्वतंत्रता के 73 साल बाद भी साक्षरता सिर्फ 64 प्रतिशत पहुँची है। आज शिक्षा और विशेषकर उच्च शिक्षा के दरवाजे सिर्फ अमीरों के लिए खुले हैं। शिक्षा की अत्यंत सृजनात्मक क्रिया शिक्षण माफिया के लिए सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी हो गयी है।
मोदी सरकार की नयी शिक्षा नीति ने शिक्षा के रहे-सहे जनवादी चरित्र का भी गला-घोंट दिया है। अनिवार्य शिक्षा, छात्रवृत्तियां व आरक्षण आज खेत में खड़े बिजुका की तरह हो गये हैं जिसका फायदा आम मेहनतकश को नहीं या बहुत कम मिल पा रहा है। आज एक बार फिर से गरीबों व विशेषकर दलितों व अन्य वंचित तबकों से आने वालों पर नयी शिक्षाबन्दी लागू हो गयी है। आज सावित्रीबाई को याद करते हुए हमें ये विचार करना होगा कि उनके शुरू किये संघर्ष का आज क्या हुआ? नयी शिक्षाबन्दी को तोड़ने के लिए सभी गरीबों-मेहनतकशों की एकजुटता का आह्वान कर सबके लिए निःशुल्क शिक्षा का संघर्ष हमें आगे बढ़ाना होगा।
कार्यक्रम की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘लड़ाई जारी है’ और सावित्रीबाई फुले तुम ज़िन्दा हो, हम सबके संकल्पों में आदि नारों से हुआ।
सभा में रवि, राहुल, रामसलोने, सूरज, कमलेश, राजकुमारी, कविता, सोनम, आशीष, अंकित, संदीप, वीरेंद्र आदि शामिल रहे l