विनोद गुप्ता की रिपोर्ट
फर्रुखाबादः कोरोना को लेकर कहीं दिक्कते है तो कहीं करिश्मे भी देखने को मिल रहे हैं। जो काम सरकारें करोड़ों खर्च करने के बाद भी नहीं कर सकी। वह काम लॉकडाउन के चलते हो गए। गंगा जल को स्वच्छ निर्मल करने के लिए सरकारों ने बड़ी कवायत कर करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन फिर भी गंगा स्वच्छ निर्मल नहीं हो सकी, लेकिन कोरोना ने वह काम किया जो सरकार लाख प्रयास के बाद भी नही कर सकी।
लॉकडाउन के बाद गंगा जल 100 प्रतिशत शुद्ध हो चुका है। आज गंगा जल सिर्फ आचमन ही नहीं पीने योग्य हो गया है। लॉकडाउन के चलते सभी कारखाने बन्द है। प्रदूषण भी समाप्त हो चुका है। जिसका सीधा असर प्रकृति पर भी पड़ा है। पहले गंगा जल काफी प्रदूषित था। जिस कारण से लोग आचमन भी नहीं करते थे, लेकिन गंगा का जल सिर्फ शुद्ध ही नही बल्कि आचमन व पीने योग्य है। गंगा किनारे रहने वाले साधु संत इसको प्रकृति का एक करिश्मा मान रहे हैं।
वर्षों से गंगा किनारे रह रहे स्वामी अच्युतानंद महाराज ने बताया कि हमने पिछले काफी समय से गंगा के जल को इतना शुद्ध नहीं देखा है, जितना कि शुद्ध गंगा का जल अब है। इसका सीधा कारण यह है कि वर्तमान में लॉकडाउन चल रहा है। लॉकडाउन के चलते सभी कल कारखाने बंद है। जिस कारण से गंगा प्रदूषित नहीं हो रही है आज गंगा का जल लगभग 80% शुद्ध है जो आचमन ही नहीं पीने योग्य जल है।
वर्षो से गंगा की सेवा कर रहे साइ धाम के महंत ने बताया कि आज गंगाजल जल इतना स्वच्छ व निर्मल है कि इतना पहलेकभी नही हुआ है। इसका सीधा कारण है कि कोरोना को लेकर जो लॉकडाउन हुआ है लॉक डाउन के चलते गंगा स्वच्छ व निर्मल हो गई है। सभी कारखाने बन्द है। जिस कारण से प्रदूषण समाप्त हो गया है। जो काम सरकार करोङो रुपये खर्च कर नही कर पाई वह काम कोरोना के चलते हो गया।मेरी सरकार से मांग है की अब जो गंगा निर्मल हो गई है उसका स्वरूप ऐसे ही बना रहे।