रिपोटर-गौरव शुक्ला
फर्रुखाबाद
फतेहगढ़ में भव्यकलश यात्रा के साथ श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ हो गया। कथा व्यास महंत डॉ. रामानन्ददास महाराज ने दोपहर एक से शाम पांच बजे तक कथा का वाचन किया।फतेहगढ़ जेएनवी रोड स्थित गवां देवी मंदिर के पास भव्य कलश यात्रा का शुभारंभ किया गया। पीतवस्त्रधारी महिलाएं सिर पर कलश रखकर चल रही थी। मुख्य यजमान ओमप्रकाश त्रिपाठी सिर पर श्रीरामचरितमानस पुराण लेकर चल रहे थे। भक्तजन घंटा, शंख बजाते संकार्तन कर रहे थे। रास्ते में भक्तों ने फूलों की वर्षा की।गवां देवी मंदिर दर्शन के बाद कथास्थल पर कलश यात्रा का विसर्जन हो गया। कथाव्यास ने पहले दिन श्रीराम की महिमा का बखान किया। इस मौके पर कौशलेंद्र सिंह राठौर, जवाहर मिश्र, राकेश प्रताप सिंह, देवेश प्रताप सिंह, आशुतोष त्रिपाठी, मुकेश राठौर, भानु दुबे आदि तमाम भक्तजन मौजूद रहे।
गांव मेरापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में मैनपुरी से आए आचार्य राम किशोर शुक्ला ने गुरुवार को सातवें दिन राजा परीक्षित की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भागवत कहती है कि मैं अथवा अहंकार न रहे तभी भगवान श्रीकृष्ण मिलते हैं। परीक्षित जीवात्मा हैं, सुखदेव महाराज वैराग्य हैं। जीवात्मा को जब वैरागी मिलता है तभी मोक्ष होता है।
उन्होंने कहा 16108 भगवान श्रीकृष्ण के विवाह भागवत में बताए गए हैं, इसका अर्थ यह है कि शरीर में 16108 नाडिया हैं। उनका संरक्षक जीवात्मा है। इसे जो समझे समझे उसी को भगवान प्राप्त होतं हैं। सुदामा का अर्थ को भी आचार्य सुंदर वर्णन किया। राजा परीक्षित की कथा सुन भक्त मंत्रमुग्ध हो गए।