निजी एम्बुलेंस और वाहनों के जमावड़े से सरकारी एम्बुलेंस नही पहुँचती अस्पताल के अंदर
हरिओम दिवाकर की रिपोर्ट
जनपद फ़तेहपुर के लोगों की माने तो जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां मरीजों को लाने वाली सरकारी एंबुलेंस रास्ता न मिलने के कारण अस्पताल गेट के बाहर सड़क पर ही रुक जाती है। जबकि प्राइवेट एम्बुलेंस तथा मरीजों के निजी वाहन अस्पताल की चार दीवारी के अंदर रहते हैं। ऐसे में यहां पहुंचने वाले गंभीर मरीजों को भी स्टेचर द्वारा अस्पताल के गेट से इमरजेंसी(ट्रामा सेण्टर) तक ले जाया जाता है।
बता दें फ़तेहपुर के जिला अस्पताल में निजी एंबुलेंस वालों का दबदबा कायम है। इसके चलते सरकारी एंबुलेंस अक्सर अस्पताल परिसर से बाहर खड़ी रह जाती हैं। जिला अस्पताल परिसर में आय दिन ऐसा नजारा सामने आता रहता है। 102 व 108 एंबुलेंस जिन मरीजों को लेकर जिला अस्पताल पहुंचती है और एंबुलेंस अस्पताल के गेट पर ही जाकर रुक जाती है। क्योंकि अस्पताल परिसर में प्राइवेट एंबुलेंस सहित निजी वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। सरकारी एंबुलेंस को निकलने के लिए रास्ता नहीं मिल पता है। मरीजों के परिजन अस्पताल परिसर में खड़े वाहनों के चालकों व निजी एम्बुलेंस चालकों से उनको हटाने की बात कहते है तो कहासुनी के साथ ही कभी कभी विवाद के साथ मारपीट की स्थिति बन जाती है, इस पर परिजन परेशान होकर स्टेचर से मरीजों को अस्पताल के अंदर ले जाते है, और इस के घटनाक्रम में देरी होने के कारण समय से इलाज न मिलने पर अक्सर गम्भीर मरीजों की जान चली जाती है। ऐसी घटनायें अकेली किसी एक व्यक्ति या एक दिन की नहीं है। यहां सरकारी एंबुलेंस से दिन में रात में आने वाले मरीजो के साथ अक्सर ही ऐसा होता है और इस मानवता को तार-तार करते कार्य पर अस्पताल प्रशासन का एक्टिव न होना और क्षेत्रीय चौकी पुलिस आबूनगर का भी इस ओर निष्क्रिय रहकर कोई ध्यान नही जाता है।दोनों की कार्य शैली पर सवाल खड़े करता है।