हरिओम दिवाकर की रिपोर्ट
13विकास खंडों की 840 ग्राम पंचायतों में लखनऊ व नई दिल्ली की फर्मों से कराई गई आपूर्ति! पल्स ऑक्सीमीटर, फेस शील्ड, मास्क,लेसर थर्मामीटर, सर्जिकल ग्लब्स तथा सैनिटाइजर के लिए ₹15300 का बिल!
कोरोना “आपदा” को भ्रष्टाचारियों ने “अवसर” में बदला!
कई प्रधानों,सचिवों ने किया विरोध तो जिम्मेदारों ने जांच का भय दिखा किट की आपूर्ति दिलाई!
शासन के संज्ञान लेने के बाद जिले में भी मची खलबली!
कोरोना संक्रमण से भारत ही नहीं पूरा विश्व जहां संघर्ष कर रहा है। आम जनजीवन अस्त व्यस्त है। लोगों के सामने रोजी रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। संक्रमण से लोगों को उबारने के लिए शासन-प्रशासन के अधिकारी जी जान से लगे हुए हैं। वहीं *फतेहपुर जिले में कुछ ऐसे अधिकारी-कर्मचारी भी हैं जिन्होंने कोरोना “आपदा” को ही “अवसर” बना लिया और ग्राम पंचायतों में कोरोना संक्रमण से बचाव की “किट”की आपूर्ति करा दी। मनमाने तरीके से की गई बिलिंग में ग्राम पंचायतों ने ना-नुकर की लेकिन जिम्मेदारों के आगे उनकी एक नहीं चली। नतीजतन ₹15300 की कोरोना किट की आपूर्ति जिले की ग्राम पंचायतों में करा दी गई।
जिले में भी कोरोना संक्रमण ने अपना विकराल रूप धारण कर रखा है। हर दिन बड़ी तादाद में कोरोना मरीज मिल रहे हैं। एक के बाद एक मरीजों के मिलने का शुरू हुआ सिलसिला डेढ़ हजार के करीब पहुंच चुका है, हालांकि जिले में हालात इसलिए अच्छे हैं कि यहां 70 फ़ीसदी से अधिक मरीज ठीक होकर अपने घरों को वापस जा चुके हैं। इसके साथ ही दुखद यह भी है कि 25 ऐसे लोग हैं जिनकी कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है। कोरोना ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा रखा है। देश के अंदर पहले मरीज की एंट्री के बाद से ही इसकी रफ्तार पहले धीमी रही और आज हालात यह है कि भारत दुनिया का दूसरे नंबर का कोरोना ग्रसित मरीजों का देश बन गया है। अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है। केंद्र व प्रदेश सरकार लोगों को हर संभव सहायता मुहैया कराने के प्रयास कर रही है।जिला प्रशासन ने भी लोगों को राहत देने के लिए हर संभव प्रयास किए।
जिलाधिकारी संजीव सिंह तथा उनकी टीम ने गैर जनपदों एवं प्रांतों से आए प्रवासियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करा उनके घरों तक पहुंचाया। आज भी जिला कोरोना संक्रमण से संघर्ष कर रहा है! *लेकिन इसी बीच कुछ अधिकारियों कर्मचारियों ने कोरोना ही अवसर बना दिया और ग्राम पंचायतों में कोरोना संक्रमण से बचाव की किट की आपूर्ति करा दी। कोरोना के बचाव के लिए ग्राम पंचायतों में बाजारू कीमत से बढ़े दामों पर पल्स ऑक्सीमीटर, लेजर थर्मामीटर,सर्जिकल ग्लव्स, सेनीटाइजर,फेस शिल्ड की आपूर्ति 13 विकास खंडों की 840 ग्राम पंचायतों में मनमाने तरीके से कर दी गई। किट की आपूर्ति लखनऊ व नई दिल्ली की फर्मों द्वारा की गई लेकिन ज्यादातर आपूर्ति बी एस इंटरप्राइजेज नई दिल्ली के द्वारा ही की गई। ग्राम पंचायतों के मंशा के विपरीत कोरोना किट की की गई आपूर्ति पर कोई भी प्रधान व सचिव विरोध नहीं कर सका और जिन लोगों ने किटों को लेने से मना किया उन पर जांच का भय दिखाकर दबाव बनाया गया।
बड़े पैमाने पर कोरोना बचाव किट की खरीद में जिम्मेदारों ने खेल कर लिया। जब भ्रष्टाचार का आलम यह हो तो बेपरवाह अधिकारियों कर्मचारियों पर आखिर कौन लगाम लगाएगा? खबर यह भी है कि मामला शासन तक भी पहुंचा है! जिसके बाद जिले में भी खलबली मची है। दुखद यह है कि जब पूरा देश कोरोना संक्रमण से संघर्ष कर रहा है तो कुछ ऐसे भी अधिकारी कर्मचारी रहे जिन्होंने इस दौर में भी अपनी नियति को स्थिर नहीं रख सके और भ्रष्टाचार करने की जुगत जुगाड़ ढूंढते रहे। अब देखना यह है कि जिले में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ग्राम पंचायतों में किटों की की गई खरीद की जांच यहां होती है या नहीं!