ब्यूरो रिपोर्ट
कानपुर-बिकरू कांड से पहले कुख्यात विकास दुबे तक सूचनाएं पहुंचाने वाले पूर्व एसओ चौबेपुर विनय तिवारी और दरोगा केके शर्मा अंतत: बर्खास्त कर दिए गए। दोनों को जांच अधिकारी ने अपना पक्ष रखने को एक-दो नहीं 12 नोटिस दिए पर उन्होंने हर नोटिस ठुकरा दी। एक का भी जवाब नहीं दिया। हर बार यही कहा कि हमें जो भी कहना होगा, कोर्ट में कहेंगे। नतीजा यह कि बिना उनके बयान के ही कार्रवाई कर दी गई।
बिकरू कांड में पूर्व एसओ और दरोगा की संलिप्तता सामने आने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। दोनों की विभागीय जांच हुई। उन्होंने अपना बयान दर्ज कराने से मना कर दिया। अधिकारियों की तरफ से दोनों को 12 नोटिस जेल में रिसीव कराए गए। जिसमें उनसे मामले में बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था। इन्हीं नोटिसों को विभागीय जांच में शामिल किया गया और दोनों को एडीशन सीपी हेडक्वार्टर आनंद कुलकर्णी ने बर्खास्त कर दिया। उन्होंने बताया कि विभागीय जांच में दोनों ने बयान नहीं दिए। दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, इसी आधार पर कार्रवाई की गई।
कहीं लाभ न मिल जाए
विभागीय जांच में आरोपित पुलिसकर्मी का बयान अहम दस्तावेज माना जाता है। ऐसे में दोनों के बयान न होने पर कोर्ट से उन्हें राहत मिल सकती है। माना जा रहा है कि यह तथ्य दोनों पुलिसकर्मी समझते हैं, लिहाजा उन्होंने नोटिसों के जवाब नहीं दिए। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इतने नोटिस रिसीव कराने के बावजूद अगर वह बयान नहीं दे रहे हैं तो इस पर कार्रवाई की जा सकती है।
14 पुलिसकर्मियों पर मिस कंडक्ट
पूर्व एसओ और दरोगा को बर्खास्त करने के अलावा इस मामले में 14 अन्य पुलिसकर्मियों को मिस कंडक्ट देकर दंडित किया गया है। इसमें तीन इंस्पेक्टर, सात सब इंस्पेक्टर, दो हेड कांस्टेबल और दो सिपाही शामिल हैं। इसके अलावा तीन सब इंस्पेक्टर और दो सिपाहियों को दंडित करने की प्रक्रिया जारी है।