बाजार व आसपास पसरा रहा सन्नटा ,जनता हुई जागरूक
ब्यूरो कन्नौज प्रशान्त पाठक
जलालाबाद– विकासखंड जलालाबाद के समस्त क्षेत्रों में जलालाबाद की जनता ने “जनता कर्फ्यू का पूर्ण समर्थन किया । बाजारों व आसपास की गलियों ने सन्नटा पसरा रहा ।लोग माननीय नरेन्द्र मोदी की बातों का पूर्ण समर्थन किया ।
लोगो ने शाम को ताली और घण्टा, घंटी बजाकर जनता कर्फ्यू का स्वागत किया ।घंटी, थाली व ताली बजाने के पीछे धार्मिक मान्यता के साथ साथ वैज्ञानिक असर भी जुड़ा हुआ है। धार्मिक नजरिये देखा जाए तो मंदिरों में घंटी लगी होती है। यह घंटी ऐसी जगह पर लगाई जाती है कि मंदिर में आने-जाने वाला हर व्यक्ति इसका इस्तेमाल कर सके। वहीं घर में अच्छी पहल या शुरुआत होने के अवसर पर थाली और ताली बजाई जाती है। इससे सकारात्मक माहौल बनता है। वहीं जीत के लिए भी उत्साह बढ़ाने के लिए ताली बजाई जाती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल में काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी कीटाणु व विषाणु आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। कोरोना से सतर्क रहने के संकेत के लिए घंटी, अब अच्छी शुरुआत के लिए थाली व कोरोना पर जीत के लिए ताली बजाएं।
ताली बजाने का धार्मिक महत्व
श्रीमद्भागवत के अनुसार कीर्तन में ताली की प्रथा भक्त प्रह्लाद ने शुरू की थी क्योंकि, जब वे भगवान का भजन करते थे तो जोर-जोर से नाम संकीर्तन भी करते थे तथा साथ-साथ ताली भी बजाते थे। इसके बाद अन्य लोग भी उनकी तरह करने लगे। सामान्यत: हम किसी भी मंदिर में आरती के समय सभी को ताली बजाते देखते हैं और हम भी ताली बजाना शुरू कर देते हैं। ऐसा करने से हमारे शरीर को कई लाभ प्राप्त होते हैं।
संगीत रत्नाकर ग्रंथ के अनुसार त शब्द शिव के तांडव नृत्य और ल शब्द पार्वती का लास्य स्वरूप है। इनसे मिलकर ही ताली बनी है। इसलिए शिव और शक्ति के मिलाप पर सृजन और सकारात्मक ऊर्जा निकलती है।