शशांक तिवारी के साथ लवलेश कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ।नन्ही सी हंसी, भोली सी खुशी, फूलों सी वो बाहें भूल गए। जब देश ने दी आवाज हमें, हम घर की राहें भूल गए कोरोना संक्रमण काल में जिस भूमिका में जरूरत महसूस हुई, पुलिसकर्मी इसी तरह खुद को आगे करते दिख रहे। घर-परिवार छोड़कर वे लॉकडाउन शुरू होने से लेकर अब तक ड्यूटी पर डटे हुए हैं।
जिम्मेदारी कानून व्यवस्था तक ही सीमित नहीं रखी है, जरूरतमंद को भोजन देना हो या किसी को दवा पहुंचाना, वे किसी को निराश नहीं होने देते। ऐसी तस्वीरें हमें रोजाना देखने को मिल रहीं। वास्तव में वे योद्धा हैं, जोकि कोरोना को मात देकर ही पीछे हटेंगे। वे जिले की सीमा पर एक-एक गाड़ी को चेक कर रहे हैं। चिंता इस बात की है कि कहीं कोई शख्स दूसरे जिले से संक्रमण लेकर न आ जाए।
कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने में फ्रंटलाइन मेडिकल कर्मियों के अलावा पुलिस का काम भी काफी जोखिम भरा है। देश भर से पुलिसवालों के कोरोना संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं तो कुछ की जान भी इस बीमारी ने ली है। लेकिन पुलिस ड्यूटी फर्स्ट के मूल मंत्र पर काम कर रही है।
लॉकडाउन का पालन कराने के लिए चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मियों को लगातार बढ़ रहा तापमान परेशानी का सबब बन गया है। मास्क लगाने से समस्या और बढ़ रही है। जीप में बैठकर माइक से अनाउंस करने वाले सिपाहियों के गले में दिक्कत हो रही है।
यूं तो मौके बे मौके पुलिसिया कार्यशैली और उसके आचरण-व्यवहार को लेकर अंगुलियां उठती रहती हैं, लेकिन तपती धूप में भी सड़क चौराहों पर दौड़ भाग करते, बारिश की बूंदों में भींगते भागते रहने वाले, आंधी तूफान में अटल रहकर हमारी सुरक्षा की ओर चिंतित बेहाल पुलिस की ड्यूटी क्या कम दुरुह है ?
कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के दौर में पुलिस कर्मी असली योद्धा बनकर खड़े हैं । लॉकडाउन का पालन करवाना हो या कोरोनावायरस से व्यक्ति का इलाज कराना , इलाके में साफ-सफाई की व्यवस्था करने में लोग अपनी जान की परवाह किए बिना देश के आम लोगों की सुरक्षा में जुटे हैं। इस बीच कई तस्वीरें ऐसी सामने आई जिनमें ये अपनी जान की परवाह किए बिना चिलचिलाती धूप में अपनी चिंता करते हुए ड्यूटी निभा रहे हैं।
कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिस एक बड़ी योद्धा है । लॉकडाउन में कानून व्यवस्था बनाएं रखने और लोगों को संक्रमण से बचाए रखने की व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस के अधिकारी और जवान 24 घण्टे सक्रिय हैं।
कोरोना के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में वह अपना सब कुछ झोंक हमारी सुरक्षा के लिए दिन रात लगे हैं । इस व्यवस्था को चलाने में वह काफी परेशानी का सामना भी कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद राजधानी की सभी प्रमुख स्थानो पर पुलिस के जवान और अधिकारियों की तैनाती की गयी है। कई स्थानो और एंट्री प्वाइंट पर चेक नाका बनाया गया है, ताकि वाहनों का प्रवेश रोका जा सके यहां 24 घण्टे पुलिस के जवान और अधिकारी तैनात रहते हैं ।
कोरोना से जंग को जहां लोग घर में रहकर मजबूती दे रहे हैं वहीं पुलिसकर्मी देश की सुरक्षा के लिए इस जंग में पहली कतार में सड़कों पर मोर्चा संभाले हुए हैं। पुलिसकर्मियों की छुट्टियां निरस्त हैं। कुछ पुलिस अफसर ऐसे हैं, जिनके परिवार कहीं और रहते हैं और ये बेचारे अपना फ़र्ज़ निभाने कोसों दूर हैं।
कुछ पुलिसकर्मी हैं जो देर रात घर जाते हैं पर बच्चों से नहीं मिलते। खुद को अलग कमरे में रखते हैं ताकि घर-परिवार सुरक्षित रह सके। फिक्र तो इन्हें भी अपने परिवार की उतनी ही होती है जितनी हमें और आप को। मगर फर्ज को ही इन्होंने पहला स्थान दिया है। पूरे समाज को अपना परिवार मानने वाले ये कर्मी हर कीमत चुकाने को तैयार हैं।
कोशिश यही है कि परिवार के साथ समाज भी सुरक्षित हो। इस वजह से रोजाना ही सड़कों पर जागरूक करने के साथ ही भूखों का पेट भर रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण सड़कें वीरान है। आपात स्थिति में ही लोग घरों से निकल सड़कों पर जा रहे हैं। सड़कों पर भीड़ नही के बावजूद इन्हें लगातार खड़ा रहना पड़ रहा है। कुछ देर आराम करने के लिए कुर्सी भी नही है। कभी-कभी ये सुस्ताने के लिए पेड़ के नीचे जमीन पर बैठ जाते हैं। इन सभी कोरोना योद्धाओं को “नया भारत दर्पण” सलाम करता है।