सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ । गुजरात के नवसारी से 24 बोगियों वाली स्पेशल ट्रेन प्रयागराज व वाराणसी के श्रमिकों को लेकर 26 मई को रवाना हुई। यह ट्रेन 21 घंटे की देरी से गुरुवार को कानपुर पहुंची। वहां से ट्रेन को प्रयागराज जाना था। लेकिन उसका रूट बदल दिया गया। ट्रेन लखनऊ भेज दी गई। लखनऊ आने पर प्रयागराज और वाराणसी के 12 श्रमिकों काे उतारकर परिवहन निगम की बसाें से भेजा गया। कुछ ऐसा ही हाल मुंबई से आने वाली प्रवासी स्पेशल ट्रेनों का है। रूट और टाइम टेबल तय न होने के कारण उत्तर मध्य रेलवे के सेक्शन पर कंजेशन के चलते यह ट्रेनें 10 से 15 घंटे देरी से आ रही हैं। बुधवार को मुंबई से आने वाली सात ट्रेनें गुरुवार को पहुंची। मध्य प्रदेश के बाद प्रवासियों को खाना तो दूर पानी तक नहीं मिल रहा है।
पश्चिम रेलवे को ट्रेन आर्डर नंबर ईओ-1259 के तहत 26 मई काे दोपहर 1:29 बजेे नवसारी से श्रमिक स्पेशल 09539 को रवाना करना था। इस ट्रेन को शाम पांच बजे रवाना किया गया। ट्रेन को 22 घंटे में 27 मई की दोपहर तीन बजे होते हुए छह बजे शाम तक प्रयागराज पहुंचना था। प्रयागराज व वाराणसी के प्रवासियों को लेकर ट्रेन 26 मई की शाम चल दी। जबकि उत्तर मध्य रेलवे ने अपने यहां कंजेशन के कारण अगले दिन 27 मई की दोपहर 1:30 बजे इस ट्रेन का रूट बदलने का आदेश जारी कर दिया। यह ट्रेन कई जगह घंटों खड़ी होने के बाद 18 घंटे लेट गुरुवार सुबह कानपुर पहुंची। प्रयागराज की जगह रेलवे ने ट्रेन को लखनऊ भेज दिया। ट्रेन लखनऊ पहुंची तो वाराणसी व प्रयागराज के 200 श्रमिकों को उतारकर बसों से भेजा गया। प्रवासी सुधीर कुमार ने कहा कि रेलवे ने हमको प्रयागराज जाने का टिकट दिया था। सब कुछ ठीक था। आज लखनऊ पहुंचे तो ट्रेन को प्रयागराज की जगह लखनऊ भेज दिया गया।
शनिवार व रविवार को 200 ट्रेनों को रद्द करने के बावजूद अब भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन पटरी पर नहीं आ सका है। मुंबई से आने वाली ट्रेनें बीना से झांसी होकर लखनऊ के बीच 10 घंटे तक फंस रही हैं। मंगलवार रात दाे बजे मुंबई से चली ट्रेन बीना पहुंचने से पहले छह घंटे तक बीच में रोकी गई। झांसी से कानपुर के बीच चार और कानपुर से लखनऊ तक दो घंटे तक इसे बीच रास्ते रोक दिया गया। गोंडा जा रहे अकील अहमद व बरकत ने बताया कि रास्ते में पीने का पानी तक नहीं मिला। घनश्याम ने मुंबई से प्रयागराज जाने का फार्म भरा। उनको बताया गया कि आजमगढ़ जाने वाली ट्रेन है जिससे पहुंच जाएंगे। सफर शुरू हुआ तो पता चला कि ट्रेन गोरखपुर जा रही है। ट्रेन 10 घंटे की देरी से जब लखनऊ पहुंची तो पूरा परिवार भटकता नजर आया। महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग से गोरखपुर के लिए 26 मई की शाम सात बजे ट्रेन चली। यह दूरी ट्रेन को लगभग 30:30 घंटे में तय गुरुवार रात 1:30 बजे लखनऊ आना था। जबकि ट्रेन 28 मई की दोपहर 12 बजे 41 घंटे में पहुंची। बलिया के राजेश रावत ने बताया कि बुधवार की शाम पांच बजे ट्रेन इटारसी पहुंची तब खाना व पानी मिला था। उसके बाद रास्ते में कुछ भी नहीं मिला। मुंबई से 26 मई की शाम पांच बजे चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन रवाना हुई। वड़ोदरा के रास्ते 1521 किलोमीटर की दूरी ट्रेन को करीब 26 घंटे में तय करना था। लेकिन ट्रेन जब गुरुवार दाेपहर 12:30 बजे लखनऊ आयी तो 43:30 घंटे का समय ले चुकी थी। आजमगढ़ जा रहे रंजीत विश्वकर्मा बताते हैं कि बिना टाइम टेबल के ही इस ट्रेन को दौड़ा दिया। कहां कब खड़ी हो जाती। कुछ पता नहीं चलता। मुंबई से 26 मई की रात 10 बजे चली 01989 स्पेशल भी बुधवार रात 12 बजे की जगह गुरुवार दाेपहर 1:40 बजे पहुंची।
लंबी लाइन स्कैनिंग की
लखनऊ पहुंचने के बाद प्रवासियों को चारबाग स्टेशन पर थर्मल स्कैनिंग के लिए लंबी लाइन लगाना पड़ा। यहां स्वास्थ्य विभाग ने अपने कर्मचारियों की संख्या घंटा दी है। अब केवल एक-एक कर्मचारी प्रथम श्रेणी प्रवेश हॉल में लगे हैं। पहले इस जगह पर तीन-तीन कर्मचारियों की टीम स्कैनिंग कर रही थी। वहीं सेकेंड क्लास हाॅल को बंद कर दिया गया है।
चलती ट्रेन में गूंजी किलकारी
मुंबई से अपने पति राम गोपाल मिश्र व तीन बालकों के साथ 26 मई की शाम स्पेशल ट्रेन से रवाना हुई नीता काे सूरत से पहले प्रसव पीड़ा हुई। नीता कुछ बोल नहीं पाती है। सूरत में महिला याित्रयों ने प्रसव कराया। नीता ने एक बार फिर बेटे को जन्म दिया। ट्रेन सूरत से होते हुए गुरुवार को लखनऊ पहुंची। यहां पर स्टेशन निदेशक सुदीप सिंह ने नीता को व्हील चेयर पर प्लेटफार्म एक तक िभजवाया। जहां रेलवे के डॉक्टर व नर्स ने महिला काे प्राथमिक उपचार दिया।