उतना ही आधुनिक बनो ना नष्ट हो ये जीवन
– दीप्ति सक्सेना
बेसिक शिक्षा के शिक्षकों द्वारा एक नवीन प्रयोग के रूप में अखिल राज्य आॅनलाइन काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रदेश भर के रचनाकारों में चुने हुए तीस प्रतिभागियों के ऑनलाइन कविता पाठ द्वारा ‘परवाज़’ का आगाज हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक बेसिक शिक्षा एससीईआरटी,उत्तर प्रदेश श्री सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह जी के आशीष वचनों से हुआ। अब्दुल मुबीन जी सहायक निदेशक के निर्देशन में कार्यक्रम अपनी उत्कृष्टता पाने में सफल रहा।
ढाई घण्टे के एपिसोड में प्रदेश भर के विभिन्न जिलों से कुल तीस कवियों ने कविता पाठ किया। इसमें बरेली जनपद में कार्यरत बदायूं निवासी शिक्षिका दीप्ति सक्सेना ने मनुष्य द्वारा प्रकृति के विनाश से उपजी स्थिति के प्रति चेताते हुए अपनी कविता ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ का काव्य पाठ किया।
बांदा की कवियत्री प्रियंका त्रिपाठी ‘तरंग’ ने गज़ल ‘वो तूफां में वादे सबा ढूंढता है, वफाओं का जो सिलसिला ढूंढता है’ सुनाकर समां बांध दिया। सीतापुर से मो0 खुश्तर रहमान खां, गोरखपुर से निशा राॅय, देवरिया से श्वेता राॅय,लखनऊ से क्षमा दुबे, अयोध्या से अंजनी कुमार शेष, जालौन से राजकुमार शर्मा, सहारनपुर से अरशद अली, श्रावस्ती से कनकलता कनौजिया आदि शिक्षक कवियों ने अपनी मनोहर रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती (डॉ)रेणु देवी, श्री जनार्दन पांडेय , श्री अदील मंसूरी , श्री दीनबन्धु त्रिपाठी ,श्रीमती मृदुला त्रिपाठी जी एवं श्री अखिलेश सिंह द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।