सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सोमवार (12 अक्टूबर, 2020) को हाथरस मामले की सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था (ADG) प्रशांत कुमार के प्रति नाराजगी जताई। पीड़िता की वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कोर्ट ने ADG कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार से सवाल पूछे। बकौल सीमा कुशवाहा कोर्ट ने एडीजी से पूछा कि अगर आपकी बेटी के साथ ऐसा हो और इस तरह अंतिम संस्कार किया जाए तो कैसा महसूस करेंगे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि एडीजी को रेप लॉ को भी पढ़ना चाहिए।
कोर्टरूम में मौजूद रहीं पीड़िता की वकील ने बताया कि कोर्ट ने पीड़ित परिवार को अच्छी तरह सुना। कोर्ट ने परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि जो कुछ हुआ, इसके लिए अदालत को बहुत दुख है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने भरोसा दिलाया कि परिवार को इंसाफ जरूर मिलेगा। सीमा कुशवाहा ने बताया कि कोर्ट ने अधिकारियों से कई सवाल पूछे, जो जवाब नहीं दे पाए। अब कोर्ट से दो नवंबर की तारीख ली गई है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान हाथरस के जिला अधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने अदालत से कहा कि कथित बलात्कार पीड़िता के शव का रात में अंतिम संस्कार करने का फैसला कानून और व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर किया गया था और ऐसा करने के लिए जिला प्रशासन पर प्रदेश शासन का कोई दबाव नहीं था। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता वीके साही अदालत में मौजूद रहे। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और पूछा कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी किसकी है?
बता दें कि जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने दोपहर बाद मामले की सुनवाई शुरू की, इस दौरान पीड़ित परिवार अदालत में मौजूद रहा। इसके अलावा गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था (ADG) प्रशांत कुमार के साथ-साथ हाथरस के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी अदालत में उपस्थित हुए। इससे पहले, हाथरस मामले में जान गंवाने वाली 19 वर्षीय दलित लड़की के माता-पिता समेत पांच परिजन कड़ी सुरक्षा के बीच सोमवार सुबह छह बजे हाथरस से लखनऊ रवाना हुए और दोपहर बाद अदालत परिसर पहुंचे।
गौरतलब है कि गत 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र में 19 साल की एक दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार युवकों ने कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया था। इस घटना के बाद हालत खराब होने पर उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था जहां गत 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गत एक अक्टूबर को हाथरस कांड का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक हाथरस को घटना के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 12 अक्टूबर को अदालत में तलब किया था। (एजेंसी इनपुट)