आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा –शैक्षिक संवाद मंच अतर्रा की मासिक बैठक शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय के आवास पर संपन्न हुई जिसमें उपस्थित शिक्षकों ने विद्यालय और समुदाय के संबंधों पर चर्चा करते हुए विद्यालयों को आकर्षक एवं प्रभावी बनाते हुए आनंदघर के रूप में रूपांतरित करने का संकल्प लिया। बच्चों के विकास के लिए समग्रता के साथ चिंतन मनन और क्रियान्वयन पर जोर दिया गया। शिक्षकों ने विद्यालयों में बाल मैत्रीपूर्ण एवं लोकतांत्रिक वातावरण सृजन कर बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने पर बल दिया।आज दोपहर बाद 2 बजे से शैक्षिक संवाद मंच की बैठक हुई जिसमें मंच के सात सदस्य शामिल हुए। परस्पर परिचय के बाद विनोद गुप्ता जी द्वारा अभियान गीत ‘बच्चों की पढ़ाई पर विचार होना चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी उससे बात होनी चाहिए’ का सामूहिक गायन करवाया गया। तत्पश्चात पूर्व निर्धारित बिंदुओं पर चर्चा करते हुए सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए । चंद्रशेखर सेन ने कहा कि आज गांव में सार्वजनिक शिक्षा के केंद्र विद्यालयों के प्रति अभिभावकों में एक अविश्वास का भाव है जिसे शिक्षक अपनी मेहनत और समर्पण से विश्वास में बदल सकते हैं । श्रीमती निशा वर्मा ने कहा कि हमें प्रत्येक बच्चे के संदर्भ से जुड़ना होगा, उसके परिवेश को समझ कर विद्यालय उपस्थिति में आने वाली समस्याओं को समझ कर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना ही होगा । राम किशोर पांडे ने कहा कि जब तक विद्यालय का कोई विजन और दीर्घकालीन योजना नहीं होगी तब तक सफलता नहीं मिलेगी। इसलिए जरूरी है कि हम अपने विद्यालयों में अभिभावकों एवं विद्यालय प्रबंध समितियों के साथ मिलकर विद्यालय विकास की 10 वर्षीय कार्य योजना तैयार करें। हमारी जिम्मेदारी बच्चों के केवल नामांकन तक ना रहे बल्कि बच्चे एक जिम्मेदार युवा के रूप में विकसित हो ऐसा गंभीर प्रयास अपेक्षित है। सौरभ गुप्ता ने कहा कि जब विद्यालयों में ठहराव होगा तो उनके पठन-पाठन में गुणवत्ता आएगी और यह ठहराव तभी संभव है जब विद्यालय आकर्षक हों और शिक्षकों का व्यवहार बच्चों के लिए मित्रतापूर्ण हो। बलराम दत्त गुप्ता ने अपने विद्यालय में किए जा रहे व्यावसायिक शिक्षा के प्रयोग के अनुभव साझा करते हुए कहा कि इससे बच्चों में कौशल विकसित हुआ है और यह विश्वास पनपा है की कोई भी काम बेहतर तरीके से कर सकते हैं । बच्चों द्वारा निर्मित उत्पाद लिक्विड नील एवं हैंड वास पाउडर गांव में पसंद किए जा रहे हैं । इन उत्पादों के प्रर्दशन हेतुज्ञ एक स्टाल कालिंजर महोत्सव में लगाने हेतु अधिकारियों द्वारा निर्देशित किया गया है। विनोद कुमार गुप्ता ने बच्चों के स्वास्थ्य रक्षा के लिए नियमित योग करवाने की बात कहीं और बताया कि अपने स्कूल में प्रतिदिन प्राणायाम,अनुलोम- विलोम एवं विभिन्न आसनों का अभ्यास करवाते हैं जिससे बच्चों में अनुशासन के साथ-साथ उत्तरदायित्व का भाव विकसित हुआ है।
उल्लेखनीय है कि मंच सार्वजनिक शिक्षा की बेहतरी के लिए पिछले सात सालों से शिक्षकों के साथ मिलकर काम कर रहा है। आज की बैठक में शिक्षकों ने तय किया की वे सभी अपने-अपने विद्यालयों एवं गांव का एक 5-10 साल की कार्य योजना तैयार करेंगे। अभिभावकों के साथ संवाद करके उनका सहयोग लिया जाएगा । कक्षा पांचवीं के बच्चे हिंदी की पुस्तकें एवं पत्र पत्रिकाएं पढ़कर अर्थ ग्रहण कर संदर्भ से जुड़ सकें ऐसे समर्पित और ठोस प्रयास मंच के साथी करेंगे। बच्चों एवं अभिभावकों के माध्यम से विद्यालय एवं गांव की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
सर्वसम्मति से यह तय किया गया की अब मंच की मासिक बैठकें दो महीने कार्यालय सभा कक्ष में होंगी और तीसरे महीने किसी स्कूल में बैठक सह कार्यशाला आयोजित की जायेगी। अंत में साथियों का आभार व्यक्त करते हुए प्रमोद दीक्षित ने कहा के अवकाश के दिन शिक्षा पर चर्चा करने हेतु बैठना आपका बच्चों और विद्यालयों के प्रति समर्पण का परिचायक है वास्तव में हमें बच्चों को केंद्र में रखकर सारी गतिविधियां करनी है बच्चे बिना डर भय के अपनी बात कह सकें और सबके साथ मिलकर नया सीखते हुए ज्ञान निर्माण करते रहें, ऐसा रचनात्मक वातावरण विद्यालयों में बनाने की जरूरत है। करुणा ,न्याय, विश्वास, प्रेम- सद्भाव, अहिंसा, भाईचारा के भाव पनपेंगे तो गांव एक उदाहरण के रूप में सामने आयेंगे। एक गांव शिक्षित-समर्थ होगा तो दूसरे गांव उससे प्रेरित होंगे। हम सभी ने साधना का पथ चुना है, एक दिन हम लक्ष्य सिद्ध करेंगे।