आत्माराम त्रिपाठी के साथ के के गुप्ता की रिपोर्ट
बांदा उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया गौवँशो के कितने भी बडे भक्त भले ही बने हो लेकिन आज जो धरातल मे जो देखने को मिल रहा है उसे देखकर आपका भी कलेजा द्रवित हो जायेगा किसान रात दिन अपनी फसल को बचाने के लिए और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए रात दिन खेतो की रखवाली करते हुये मिलेगा यह हमारे अन्न दाता की हालत है। आज हमारे पूरे जनपद सँचालित गौशालाओं की हालत बद से बदतर है गौशालाओं से गौवँश नदारद मिलेंगे और अगर गौवँशो को गौशालाओं के अँदर अगर बँद किये है तो उनके लिए भूसा चारा इत्यादि राशन सामग्री नही मिलेगी जानवर भूखे मर रहे है कितने बडे दुर्भाग्य की बात है। सूबे के मुखिया भी तिन्दवारी कान्हा गौशाला का निरीक्षण करने गये थे तो गौवँशो को गुड खिला रहे थे तो वह खा भी नही रहे थे। जबकि शासन स्तर से पँचायतो मे पैसा आ रहा है तथा नगरपालिका / नगरपँचायतो मे गौवँशो के नाम पर धनराशि आ रही है तो उस धनराशि का क्या किया जा रहा है
या यह सरकारी कागजो तक ही यह सब कुछ सिमट कर रह गया है । मौके पर गौशालाओं से गौवँश नदारद है तथा खुलेआम विचरण कर रहे है यह सूबे की सरकार के प्रति सवालिया निशान बन रहा है ।आये दिन वाहनो से गौवँश टकरा कर अकाल मृत्यु के मुँह मे जा रहे है एवँ वाहन स्वामी भी बहुत से काल के गाल मे समा गये। तथा आये दिन दुर्घटनाये हो रही है इस ओर न तो जिला प्रशासन कोई कडे कदम उठाने के लिए तैयार है । और तो और जिले के सक्षम अधिकारी राजमार्गों से स्वयं गुजरते है तथा मुँह फेरकर निकल जाते है बहुत से गौवँश राजमार्ग मे दुर्घटना होकर के पडे पडे सड जाते है तथा बदबू मारते रहते है ।लेकिन आम आदमी हो या अधिकारी चुपचाप मुँह छिपा कर निकल लेते है कितनी बडी विडंबना है इस समाज मे। जिस गाय की पूँछ पकडकर वैतरणी पार होने का दावा हमारे वेद पुराण शास्त्र करते है वही हिन्दुओं के देश हिन्दुस्तान मे गौवँशो की हालत बद से बदतर है।