आत्माराम त्रिपाठी
बांदा। निवर्तमान पुलिस अधीक्षक गणेश शाहा द्वारा पुलिस गुड मार्निंग वॉक एक अभियान चलाया था जिसे बांदा जनपद में ही नहीं प्रयागराज जोन के पुलिस महानिरीक्षक ने सुंदर पहल बताते हुए पूरे जोन में इसे लागू करने की बात कही थी।यही नहीं पुलिस गुड मॉर्निंग अभियान बांदा से उठकर दूसरे प्रांतों में भी कई जगह अपनाया गया और इसका रिस्पांस भी सुंदर दिखने लगा था। अपराधियों के हौसले पस्त होने लगे थे आम जनमानस में पुलिस की बिगड़ी छबि में सुधार हो रहा था। बृद्धों को उनके बच्चों द्वारा जो तिरस्कृत थे संम्मान मिलने लगा था।
श्री शाहा द्वारा चलाई गई इस मुहिम का दायरा थाना मुख्यालय से निकल कर विद्यालयों, कालेजों,पार्को, ग्रामीण अंचलों तक पहुंच गया था जिसमें पुलिस के अधिकारी साथ में होते और आम जनमानस से इस तरह मिलते-जुलते थे मानो बहुत दिनों के बाद दो बिछड़े हुए परिवार मिल रहे हो। परिणाम जनता अपने दिल की बात बताने लगी और उन्ही मेल मिलाप वार्ता का असर इस तरह होने लगा की अपराधियों में भय ब्याप्त हुआ। साथ अनफिट हो रहे पुलिस कर्मियों के गुड मॉर्निंग वॉक से वह भी फिट होने लगे और जो पहले अपने कफ्तान के आदेश पर निकल रहे थे उन्होंने इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर निकलने लगे। यही नहीं कालेज के समय कालेजों में समय देने लगे थे जिससे वहां मनचलों अराजक तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अराजकता व छात्राओं के ऊपर छींटाकशी करने वालों के हौसले जो बुलंद थे पस्त हो गये थे। अपराधी दुबक कर बैठने को मजबूर हो गए थे।
अब जब ऐसे सराहनीय पहल का जिसका अपने जनपद में ही नहीं दूसरे जनपदों सहित अन्य प्रांतों में स्वागत किया गया हो व उस पर अमल किया गया हो फिर एकाएक उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए तो बात कुछ हजम नहीं होती कि आखिर इस मुहिम में क्या खामी नजर आई की पुलिस के वर्तमान बरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीना जो न्याय प्रिय है इस गुड मॉर्निंग अभियान में गति नहीं प्रदान कर पा रहे हैं जो जन हितैषी ही नहीं बल्कि यूं कहा जाए कि जनता और पुलिस के बीच टूट रही कड़ी को भी जोड़ने की एक अहम कड़ी है और वह है पुलिस गुड मॉर्निंग अभियान।