आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बाँदा। नरैनी कोतवाली से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित नसेनी गाँव मे इस समय टीलो की खुदाई कर बालूचोर बालू निकालकर रात्रि के अँधेरे मे ट्रेक्टरो व ट्रको तथा डग्गियो मे लोड करवा कर मालामाल हो रहे है। सारी गाडियां नरैनी कोतवाली के सामने व चौराहे से अतर्रा व बाँदा की ओर जाती है । क्या इसकी भनक पुलिस प्रशासन व राजस्व अधिकारियो को नही होगी? इन सबको सब कुछ मालूम होने के बावजूद भी चुप्पी साधे हुये है क्योंकि गुलाबी नोटों के आगे जब जमीर बिक जाये तो फिर क्या किया जा सकता है जनता के पैसे से वेतन लेने वाले अधिकारी हम लोगों की सुरक्षा की गारंटी देते है वही रक्षक ही भक्षक बन जाये तो फिर कैसे समाज को सही दिशा दी जा सकती है ।यह एक बहुत बडा प्रश्न है ।जबकि यह सारा खेल सांसद, विधायक,राजस्व अधिकारी व पुलिस के बिना मिलीभगत के ऐसा हो पाना सम्भव भी नही है। इस पूरे खेल मे खादी प्रशासन व बालूचोरो की पूर्णतया मिलीभगत खुलेआम नजर आ रही है तथा राज्य सरकार के राजस्व का चूना खादी बालूचोर व प्रशासन तीनो लगाने मे कोई कसर नही उठा रहे है।
बाँदा जनपद मे अधिकारी हो या कर्मचारी चाहे नेता हो इन सबकी नजर केवल यहां के खनिज मे ही रहती है जिसको भी मौका मिलता है लूटने मे डट जाता है जिसका जीता जागता उदाहरण नरैनी क्षेत्र मे नसेनी लहुरेटा कोलावल पाँडादेव तथा शिवपुर गौर ,गढागंगा पुरूवा,मऊ राजापुर ,बडैछा,अमीरछी जैसे जितने भी घाट इस क्षेत्र मे है बालूचोरी बदस्तूर जारी है।
अब तो लोग खुला आरोप भी लगा रहे हैं जैसे नरैनी विधायक के रिश्तेदार इस अबैध बालू खनन में लिप्त है तो सांसद का पुत्र भी इसमें शामिल हैं।रही बात पुलिस की तो उनके आंखों के सामने से दिन हो या रात यह बालू भरे ओवरलोड ट्रक ट्रैक्टर डग्गियां निकलती है पर मजाल क्या जो यह इन्हे रोक सके। बल्कि जिन्हें तक्का का नाम दिया है उनमें सबसे अहम रोल तो इन्ही का है ।
पकड़नाभी इन्हे है निकालना भी इन्हे और बालू खनन माफियाओं को कार्रवाई की सूचना भी इन्ही को देनी है।तक्का तो बेरोजगारी कोविड 19 कोरोना काल से प्रभावित जीविका चलाने के लिए दो सौ रुपए में ड्यूटी है कर रहा है।हां इसमें दलाल तो मजे लूट रहे हैं और अब पता चला है कि यह दलाल अपने दुकान चमकाने के उद्देश्य से नगरबधूओं के दलालों की तरह दलाली करने लगे हैं।
अपना कार्य करवाने के लिए इन्हें अपनों को सामने वाले के सामने परोसने में शर्म नहीं आती पर यह लिखने में लेखनी शर्माने लगी है किन्तु सामने वाले इतने बेशर्म हो गये है कि उन्हें शर्म नहीं आती।