संवाद सहयोगी सुमित मोहन की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश के देवास जिले में डॉक्टर की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां सतवास की एक लेडी डॉक्टर मेघा पटेल ने जिंदा शिशु को मृत बता दिया। लेकिन जैसे ही शिशु के परिजन उसे दफनाने लगे तो उससे ठीक पहले उन्हें पता चल गया कि उनका बच्चा जिंदा है। उन्होंने नवजात को तुरंत हरदा जिला चिकित्सालय ले जाकर एसएनसीयू में भर्ती कराया।
लेडी डॉक्टर को कोरोना महामारी के दौरान कार्य में लापरवाही बरतने पर सिविल हॉस्पिटल कन्नोद के बीएमओ पद से हटाकर अभी हाल ही में सतवास के शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया था। जानकारी के अनुसार, सतवास के वार्ड क्रमांक 11 अतवास निवासी साबिर पिता मुंशी खान की बेटी रिहाना पति आरिफ निवासी काटाफोड डिलीवरी के लिए डॉक्टर पटेल के निवास पर पहुंची थी। गुरुवार सुबह 5 बजे रिहाना को बेटा हुआ परिजन का आरोप है कि पहले तो डॉक्टर ने 6000 रूपए फीस के लिए लड़की को 1 घंटे तक रोके रखा। जब पैसे लेकर आए तो उन्हें बताया कि यह बच्चा तो मर गया है। इसके बाद डॉक्टर ने शिशु को प्लास्टिक में लपेट कर दे दिया।
परिजन बच्चों को मृत समझकर अपने घर ले गए और उसे दफनाने के लिए कब्र खोद ली तभी बच्चे के नाना को बच्चे के हिलने -डुलने की हरकत दिखी तो उन्होंने तुरंत प्लास्टिक हटाई और नवजात को फिर डॉक्टर पटेल के पास ले गए और जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप था कि लेडी डॉक्टर ने जिंदा बच्चों को मृत बता दिया फिर डॉक्टर पटेल ने बच्चों को तुरंत हरदा के लिए रेफर कर दिया। जहां बच्चा अभी जीवित है और SNCU में उसका इलाज चल रहा है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर परिजन पूरे मामले की जांच की मांग कर रहे हैं।