मोहन प्रसाद यादव की रिपोर्ट
शहडोल। जिले में संचालित माइक्रो फायनेंस कंपनियों के दफ्तरों पर एक साथ शहडोल पुलिस की विभिन्न टीमों द्वारा कार्यवाही की गई। लम्बे समय से जिले के विभिन्न क्षेत्रों से माइक्रो फायनेंस कंपनियों के द्वारा ऋण वितरण में हेर-फेर की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। इनमें जिले में संचालित माइक्रो फायनेंस कंपनी-आरोहण माइक्रो फायनेंस कंपनी, सोनाटा फायनेंस, संहिता कम्यूनिटी डेवलपमेंट सर्विसेज, एल.एण्ड.टी., आर.बी.एल. फायनेंस, पहल, आशीर्वाद प्रमुख रहे हैं। पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल के मागदर्शन पर इन कंपनियों पर कार्यवाही हेतु विस्तृृत कार्य-योजना तैयार की गई। एक व्यापक रणनीति के तहत की गई इस कार्यवाही में इस मूल अवधारणा को ध्यान में रखा गया कि सभी कंपनियों के दस्तावेजों एवं कार्य प्रक्रिया का एक साथ समग्रता से परीक्षण किये जाने पर स्पष्ट निष्कर्ष बेहतर तौर पर प्राप्त हो सकेंगे। शहडोल पुलिस की इस जिला व्यापी कार्यवाही से लगभग 1 करोड़ 45 लाख रूपये की हेरा फेरी के स्पष्ट प्रमाण प्राप्त हुए हैं। करोड़ों रूपये के फर्जीवाड़ा के उजागर होने की अभी और संभावना प्रकाश में आई है।
जनवरी 2020 में थाना सोहागपुर में आवेदिका ग्राम गोरतरा निवासी विद्या सिंह के द्वारा अन्य कई महिलाओं के साथ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि आरोपीगण लक्ष्मण पनिका, शंकर पनिका, सुनील पनिका, शशिकांत राजपूत एवं विकास द्विवेदी माइक्रो फायनेंस कंपनियों के द्वारा हम गरीब-बेसहारा महिलाओं के पास आकर बोले कि शासन की योजना है कि गरीब महिलाओं का समूह बनाकर उनको फायनेंस कंपनी से कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध करायें। गांव की महिलाएं झांसे में आ गईं तथा मांगे जाने पर उनका आधार कार्ड, वोटर आईडी इन आरोपियों द्वारा ले लिया गया तथा शशिकांत राजपूत निवासी सिंहपुर रोड शहडोल के कियोस्क के माध्यम से बैंक खाता खुलवाये गए थे। ये लोग विकास द्विवेदी निवासी पाण्डवनगर से मिलकर सांठ-गांठ कर फर्जी आधार कार्ड बनवाकर अलग-अलग फायनेंस कंपनियों में जमा कर देते थे और अलग-अलग फायनेंस कंपनियों के बैंक से 20 हजार से 30 हजार रूपये का लोन करवाते थे। लक्ष्मण पनिका और उसका भाई शंकर पनिका, सुनील पनिका ये सभी शशिकांत राजपूत के कियोस्क सेंटर में हम सबको ले जाकर हमारे खाते से रूपये निकलवाते थे और निकाले गए रूपये में से 2000 रूपये हमको देते थे और शेष रूपये खुद रख लेते थे और बोलते थे कि फायनेंस की किश्तों को वे खुद पटा देंगे, हमको नहीं पटाना होगा। लक्ष्मण पनिका और उसके भाईयों ने हमारी किश्त नहीं चुकाई। फायनेंस कंपनी वाले अब हम गरीब महिलाओं से जबरदस्ती करके रूपये मांगने आते हैं।
उक्त शिकायत के आधार पर थाना सोहागपुर में धारा 420, 467, 468, 471, 120बी ता.हि. के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। दौरान विवेचना ग्रामीण महिलाओं के द्वारा की गई शिकायत सही पाई गई। आरोपी लक्ष्मण पनिका से हितग्राहियों के मूल आधार कार्ड को स्कैन कर सहयोगी विकास द्विवेदी के प्रिंटर, कम्प्यूटर, लेमीनेशन मशीन की मदद से स्कैन कर बनाए गए लगभग 245 फर्जी आधार कार्डों को जप्त किया गया एवं कियोस्क संचालक शशिकांत राजपूत के कब्जे से उसके कियोस्क सेंटर के उपकरण सीपीयू कलर प्रिंटर, मॉनीटर, रजिस्टर, लेमीनेशन मशीन आदि जप्त किया गया। इसी प्रकार आरोपी मदन पनिका से भी फर्जी आधार कार्ड बनाने के उपकरण कम्प्यूटर प्रिंटर आदि जप्त किये गए। लक्ष्मण के भाई शंकर एवं सुनील पनिका के कब्जे से भी फर्जी आधार कार्ड जप्त किये गए हैं। जप्तशुदा फर्जी आधार कार्डों का सत्यापन ग्राम के सचिव द्वारा किया गया तथा जो फर्जी प्रमाणित पाये गए ऐसे आधार कार्ड या तो अस्तित्व में नहीं हैं अथवा किसी अन्य व्यक्ति के नाम से रजिस्टर्ड पाये गए। उपरोक्त सभी आरोपी लक्ष्मण पनिका, शंकर पनिका, सुनील पनिका, मदन पनिका तथा शशिकांत राजपूत एवं विकास द्विवेदी कुल 06 नफर को गिरफ्तार कर न्यायालय पेश किया जा चुका है। इनके विरूद्ध तत्समय तक विवेचना पूर्ण होने से विधिक प्रावधानों के तहत चालान न्यायालय पेश किया जा चुका है।
प्रकरण की विवेचना के प्राथमिक चरण में फायनेंस कंपनियों की भूमिका एवं दोषिता का परीक्षण किया जाना शेष था। दिनांक 22.07.2020 को एक ही समय पर शहडोल पुलिस की विभिन्न टीमों द्वारा शहडोल से माइक्रो फायनेंस कंपनियों – आरोहण माइक्रो फायनेंस कंपनी, सोनाटा फायनेंस, सहिंता, फायनेंस, एल.एन.टी., आर.बी.एल. फायनेंस, ई.एस.ए.एफ. स्मॉल फायनेंस बैंक, उत्कर्ष स्मॉल फायनेंस बैंक, फिनकेयर स्मॉल फायनेंस बैंक, एक्वाटास फायनेंस बैंक, बंधन बैंक तथा बुढ़ार से स्पंदन फायनेंस लिमिटेड, फ्यूजन माइक्रो फायनेंस प्रायवेट लिमिटेड, उत्कर्ष फायनेंस, पहल तथा आशीर्वाद के दफ्तरों से स्वीकृत ऋणों के संबंध में जानकारी हासिल की गई। प्रत्येक कंपनी के कर्मचारियों/पदाधिकारियों से पृथक-पृथक पूछताछ की गई तथा दस्तावेजों, पंजियों तथा इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर डाटा की सूक्ष्मता से पड़ताल की गई। जाँच दौरान दस्तावेजों के अध्ययन से यह तथ्य प्रकाश में आया कि स्व-रोजगार के उद्येश्य से ऋण देने के नाम पर कुछ कंपनियों द्वारा टार्गेट पूरा करने की आड़ लेकर स्वयं अनुचित आर्थिक लाभ हासिल करने हेतु फर्जी आधार कार्ड एवं वोटर आईडी के आधार पर ऋण स्वीकृत किये गए हैं। इस हेतु लोन की स्वीकृति हेतु के.वाई.सी. में लिए गए दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड की छायाप्रति एवं वोटर आई-डी कार्ड की छायाप्रति की जांच की गई। आधार नम्बरों की जांच से पता चला कि कुछ आधार कार्ड अस्तित्व में ही नहीं हैं तथा कुछ आधार नंबर किसी अन्य व्यक्तियों के नाम पर हैं जिससे स्पष्ट पता चलता है आधार कार्ड की ड्यूप्लीकेट प्रति कम्प्यूटर स्कैनर एवं प्रिंटर के माध्यम से तैयार कर परिवर्तन किया गया है। आधार कार्डों की जांच में यह तथ्य भी प्रकाश में आये कि मूल आधार कार्ड नंबरों के अंकों को आगे-पीछे किया गया। शेष जानकारी यथावत् रखकर फर्जी आधार कार्ड लोन स्वीकृति हेतु उपयोग में लाये गए हैं।
इन कंपनियों ने की हेराफेरी
आरोहण फाइनेंस ने 71 लोगों के फर्जी दस्तावेज प्रयुक्त कर अगस्त 2019 से दिसम्बर 2019 तक 18 लाख 20 हजार, संहिता फाइनेंस ने 43 लोगों के फर्जी दस्तावेज जनवरी 2019 से सितम्बर 2019 उपयोग किये एवं 10 लाख 75 हजार, आर.बी.एल. फाइनेंस ने 33 लोगों के जुलाई 2019 से नवम्बर 2019 तक फर्जी दस्तावेज उपयोग किया, जिसमें 2 की गिरफ्तारी हुई, 9 लाख 90 हजार की हेराफेरी की गई, सोनाटा फाइनेंस ने 18 लोगों के फर्जी दस्तावेज फरवरी 2019 में उपयोग किये, जिसमें 2 लोगों की गिरफ्तारी की गई 4 लाख का फर्जीवाड़ा किया गया, एल एण्ड टी फाइनेंस ने 115 लोगों के दस्तावेज मई 2018 से जनवरी 2020 तक प्रयुक्त किये, जिसमें 7 लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही 40 लाख 35 हजार 873 की हेराफेरी सामने आई है, पहल फाइनेंस में 112 लोगों के जनवरी 2019 से जनवरी 2020 तक दस्तावेज प्रयुक्त किये गये, 2 लोगों के गिरफ्तारी के साथ ही 33 लाख 60 हजार का फर्जीवाड़ा किया गया, आर्शीवाद फाइनेंस ने 91 लोगों के फर्जी दस्तावेज जनवरी 2019 से जनवरी 2020 तक उपयोग किये, जिसमें 27 लाख 30 हजार की ठगी की गई। पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार करते हुए बताया कि 483 फर्जी दस्तावेजों के सहारे लगभग 1 करोड 44 लाख की हेराफेरी की है।