आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
सतना। मध्य प्रदेश के सतना जनपद निजी कार्यक्रम के तहत पहुंचना हुआ जिसमें अपने कुछ पत्रकार साथियों के साथ पत्रकारिता की सोच लिये भ्रमण किया। और पाया कि सतना जनपद के कई ऐसे ग्रामीण,व जंगली इलाके हैं जहां अबैध ढंग से कच्ची महुआ शराब बनाने व उसकी तस्करी कर बिक्री करने का धंधा जोरों पर है। आबकारी,व पुलिस द्वारा लगातार छापामार कार्रवाई करने के उपरांत भी इस अबैध धंधे पर अंकुश आबकारी एवं पुलिस लगा पाने में नाकामयाब साबित हो रही है।
भ्रमण के दौरान लोगों ने बताया कि कोरोनाकाल में लाकडाउन के चलते शराब दुकानें बंद हो गई थी जिसके चलते सुराप्रेमियो की जरूरत को पूरा करने के लिए जंहा कच्ची महुआ शराब नहीं बनती थी वंहा बनने लगी। जो कभी नहीं बनाते थे वह बनाने लगे। उन पर जिनके कंधों पर रोकने की जिम्मेदारी थी वह जानते हुए अनजान बने रहे। परिणाम आज जनपद का कोई ऐसा थाना क्षेत्र नहीं है जंहा अबैध मादक पदार्थो की तस्करी कर बिक्री तस्करो द्वारा न की जा रही हो।
जनपद में कोरेक्स ,चरस गांजा कच्ची महुआ शराब, सहित शराब ठेकेदारों के ठेके यानी दुकानों से एक दूसरे के क्षेत्रों में भी सस्ते दरों पर भेजी जाने वाली मदिरा लोगों द्वारा मिलावट कर बेची जा रही है।
ज्ञात हो इसी तरह की मिलावटी शराब सेवन से बिगत वर्ष दूसरे प्रांतों में कई लोगों की जानें गईं थीं ।पर इन सबसे किसीने न सीखली न सबक । और यह मतवाले निकल पड़े खुद अपनी जिंदगी दांव पर लगाते हुए ।इन पन्नियो में भरी कच्ची महुआ शराब पीने।