मोहन प्रसाद यादव की रिपोर्ट
डॉ व्ही.पी. सिंह चौहान जिला पशु चिकित्सालय से रहते हैं नादारत
अनूपपुर-पशुओं की सुरक्षा और उनकी देखभाल के लिए लाखों रूपये की दवाईयां पशु चिकित्सालय में मौजूद तो थी, लेकिन महीनों चिकित्सालय का न खुलना और ग्रामीण क्षेत्रो तक पहुंचकर दवाओं का उपयोग न करने की वजह से चिकित्सालय में ही दवाईयों की तिथि समाप्त कर कचरे में तब्दील कर दीं। शासकीय पशु चिकित्सालय वेंकटनगर में मूक पशुओं की ईलाज के लिए लाखों रूपये की दवाईयां तो क्रय की गयीं या फिर शासन के द्वारा उन तमाम योजनाओं के तहत दी गयीं सुविधाओं को पशु चिकित्सालय के कमरे में ही दफन कर दिया गया। पदस्थ चिकित्सक को शायद ही यहां के ग्रामीण पहचानते हो, महीनों उनका नदारद रहना और व्यवस्था के प्रति लगाव न रखना यह दर्शाता है कि सिर्फ अपनी वेतन पकाने के लिए रजिस्टर का कोरम पूर्ण कर उच्चाधिकारियों को नमस्कार कर लिया जाता है।
लाखों की दवा एक्सपायर :
वेंकटनगर पशु चिकित्सालय मेें रखी गयी दवाईयों की तिथि समाप्त हो चुकी है, न ही उनका उपयोग किया गया और न ही उसे व्यवस्थित स्थान पर नष्ट किया गया, सालों से चिकित्सालय के कमरे में कचरे के ढेर की तरह पड़ा हुआ है। वर्षो से दवाईयां खराब पड़ी हैं लेकिन इसकी जानकारी न तो डाक्टर को है और न ही अन्य स्टाफ को है या फिर सब कुछ जानने के बाद भी अंजान बने हुये हैं।
नहीं होता कभी भी निरीक्षण :
जिस तरह से वेंकटनगर पशु चिकित्सालय का हाल है, उसी तरह से जिले में मौजूद अन्य पशु चिकित्सालयों का भी हाल देखा जा सकता है, इससे जाहिर होता है कि उच्चाधिकारी कभी ऐसे चिकित्सालयों का भ्रमण भी नहीं करते है। दवाईयां मौजूद तो हैं लेकिन कचरे में तब्दील हो चुकी हैं, इसकी भी जानकारी उच्चाधिकारियों को नहीं है तभी तो सालों से चिकित्सालय के अंदर कमरे में लाखों की दवाईयां पड़ी हुयी हैं।
नदारद डॉक्टर और चपरासी :
शासकीय पशु चिकिेत्सालय वेंकटनगर में पदस्थ डॉक्टर वी.पी.सिंह घर में बैठकर अपनी तनख्वाह लेते हैं, महीने में एकाध बार पहुंचकर रजिस्टर में अपने नाम का हस्ताक्षर करते हैं और पुन: वापस लौट जाते हैं, इन्हें न तो चिकित्सालय की व्यवस्था से मतलब है और न ही पशुओं के देखभाल से, यही हाल पदस्थ चपरासी गणेश प्रसाद यादव का है, महीनों न तो ताला खुलता है और न ही साफ सफाई होती है।
पहुंची मीडिया तो तोड़ा ताला :
ग्रामीणों से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद पत्रकारों के द्वारा जब सच्चाई का पता लगाने वेंकटनगर पहुंचे तो पता चला कि महीनों से ताला ही नहीं खुला, तभी अचानक एक कर्मचारी पहुंचते हैं और चाबी गुम होने की बात करते हुये ताले को तोड़ दिया जाता है। जिसके बाद अंदर का नजारा कचरे और एक्सपायरी दवाईयों के साथ पशु चिकित्सासलय गौशाला का रूप धारण किये हुये थी।
इनका कहना है :
मैं तत्काल ही इसकी जानकारी लेता हूं और जल्द ही भ्रमण पर जाकर चिकित्सालय का निरीक्षण करूंगा, अगर लापरवाही की जा रही है तो दोषियो पर कार्यवाही भी की जाएगी।
डॉ. व्ही.पी.एस. चौहान, उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें, अनूपपुर