विशाल भगत की रिपोर्ट
जालंधर। लंबे अरसे के बाद रक्षाबंधन पर इस बार भाई की कलाई पर स्वदेशी राखी सजेगी। चीन सीमा पर तनाव तथा मौजूदा माहौल को देखते हुए लोगों में चाइनीज उत्पादों को लेकर भारी रोष है। इसका असर सीधे रूप से रक्षाबंधन के बाजार पर पड़ा है। इस बार खास बात यह है कि रक्षाबंधन पर बाजार में खरीदारी करते समय लोग भी स्वदेशी राखियों की मांग कर रहे हैं। उधर, कोरोना वायरस के चलते इस बार 40 फीसद कारोबार कम हो गया है। वही मार्केट में बच्चों के लिए फिर से कार्टून कैरेक्टर वाली राखियां चलन में है। इसके अलावा कालू भाई, मूछ वाला भाई, प्यारा भाई तथा तारक मेहता वाली राखियां विशेष रूप से उतारी गई है। इसी तरह लोकल ब्रांड तथा हैंड मेड राखी की मार्केट में तेजी के साथ इजाफा हुआ है।कोरोना वायरस के चलते रक्षाबंधन के सीजन में 40 फीसद कारोबार प्रभावित हुआ है। कारण, एक तो विदेश में रहने वाले भाइयों को बहनें राखी नहीं भेज पा रही हैं, दूसरा रंग बिरंगी राखी की जगह सादगी के साथ भाई को राखी बांधने का मन बनाया है। यही कारण है कि सीजन होने के बावजूद बाजारों में विरानगी छाई हुई है।इस बारे में पूजा राखी के निर्माता तथा अटारी बाजार के कारोबारी सतपाल गुंबर तथा अमित गुंबर बताते हैं कि शुरुआत में मंदी का दौर चल रहा था। वहीं, रक्षाबंधन के सीजन के अंतिम दिनों में खरीदार घर से निकले हैं। जिससे कारोबार अच्छा चलने की संभावना है।