चंडीगढ़ : बेशक नगर निगम ने पानी के रेट कम करने के अलावा सीवरेज सेस 30 से कम करके 5 फीसद करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रेट कम हो गए हैं। अभी रेट कम करवाने के लिए नगर निगम के पार्षदों को प्रशासन पर दबाव बनाना होगा। वहीं, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मंगलवार को सलाहकार मनोज परिदा से मिलने का समय ले लिया है। वहीं, नगर निगम के अधिकारी जो पानी के रेट कम करने का प्रस्ताव पास किया उसे केलकुलेट कर रहे हैं। इससे नगर निगम को कितना घाटा पड़ेगा क्योंकि वर्तमान रेट बढ़ाने के बावजूद नगर निगम का हर साल का घाटा 67 करोड़ रुपये हो रहा है। कमिश्नर केके यादव सीवरेज सेस के रेट पांच फीसद करने के पक्ष में नहीं हैं। इसी सप्ताह नगर निगम के अधिकारी पास किए हुए प्रस्ताव को स्थानीय निकाय सचिव के पास भेजेंगे। जिसमें यह भी शामिल होगा कि पानी से कितना घाटा होगा। ऐसे में अभी जब तक प्रशासन पानी के रेट पर कोई फैसला नहीं ले लेता तब तक राजनीति जारी रहेगी। वहीं, भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद से पानी के रेट कम करवाने के लिए प्रशासन पर पूरा दबाव बनाया हुआ है। रेट कम करवाकर भाजपा अपना दबदबा बढ़ाना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस मुद्दे को आने वाले नगर निगम चुनाव तक लेकर जाना चाहती है।
दो साल से 250 फीसद रेट बढ़े हैं पानी के
सिटी फोरम ऑफ रेजिडेंट्स वेलफेयर आर्गेनाइजेशन के संयोजक विनोद वशिष्ठ का कहना है कि 2019 से लेकर अब तक 250 फीसद से ज्यादा रेट बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि पांच लोगों के एक घर की पानी की खपत 40 किलोलीटर है और अधिकतर बोझ ऐसे लोगों पर ही पड़ा है। उन्होंने कहा कि 2018 से केंद्र सरकार से मिलने वाला बजट कम हुआ, जिस कारण बोझ शहरवासियों पर बढ़ता जा रहा है।