वो राम की खिचड़ी भी खाता,रहीम की खीर भी खाता है,वो भूखा है जनाब उसे कहां मजहब समझ आता है।
काजिरुल शेख की ख़ास रिपोर्ट
लॉकडाउन के बाद मजदूरों की मदद को आगे बढ़े हाथ, कोई गरीबों को पहुंचा रहा खाना तो कोई दे रहा राशन
पाकुड़। वर्तमान में कोरोना वाइरस जैसी महामारी पर सटीक बैठता है।गरीबों को मदद करने के जात-पात से उठकर लोग सेवा कर रहे हैं।कोरोना संकट से निपटने के लिए प्रभावी लॉकडाउन ने दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी दुकानदारों की रोजी छिन ली है। उनके समक्ष उत्पन्न भोजन की समस्या के समाधान के लिए जिले के समाजसेवी और सामाजिक संगठन आगे आए हैं।
जिला प्रशासन की अपील के बाद पहल करते हुए ऐसे परिवारों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराने का फैसला लिया है, जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है। कोई पूड़ी-सब्जी के पैकेट बनाकर बांट रहा है तो कोई उन्हें घर जाकर राशन पहुंचा रहा है।पिछले दस दिनों से चल रहे लॉकडाउन के चलते दवा, दूध, किराना, सब्जी, पशु चारा के अलावा अन्य सभी तरह की दुकानें बंद हैं। इससे खास तौर से उस वर्ग के लिए पेट भरने का संकट आ गया है, जो रोज दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।
रिक्शा-ठेला चालक, चाय-पान के छोटे दुकानदार, फेरी करने, फुटपाथ और रेहड़ी पर दुकान लगाने वाले हजारों परिवारों के समक्ष आमदनी का कोई जरिया न होने से घर में चूल्हा जल पाना मुश्किल हो गया है। ऐसे लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने समाजसेवी संस्थाओं एवं शहर के प्रबुद्ध लोगों से पहल की अपील की थी।इसी कड़ी में पाकुड़ के पत्थर व्यवसाई अली अकबर के पुत्र अजहर इस्लाम एवं मजहर इस्लाम ने इस दिशा में कदम उठाया है।गुरुवार से उन्होंने लगभग तीन हजार परिवारों के बीच एक सप्ताह का राशन देने का निर्णय लिया है।जिसमें चावल, दाल,आटा,आलू सहित समान एक सप्ताह का वितरण कर रहे हैं।अजहर ने बताया कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन का पालन करना जरुरी है, मगर इसके चलते दिहाड़ी मजदूरों का रोजगार भी ठप पड़ गया है।जिस कारण कई घरों में चूल्हा नही जल पा रहा है।उन्होंने कहा कि इस लिए हमारे पिता अली अकबर ने निर्णय लिया है कि जबतक लॉकडाउन रहेगा तबतक आसपास के गांव में कोई गरीब,दिहाड़ी मजदूर भूखा न रहे इस के लिए गांव के प्रधान और वोलेंटयर्स के माध्यम से सूची मंगाई गई है।और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए वोलेंटयर्स घर घर जाकर एक सप्ताह का राशन उपलब्ध कराएंगे।मजहर इस्लाम ने बताया कि हमारे पिता अली अकबर ने ग़रीबी को बहुत नजदीक से देखा है।दिहाड़ी मजदूरों के पैर के छाले भी देखे हैं।अगर एक दिन काम नही मिलता है तो दिहाड़ी मजदूर के घर पर भोजन नही पकता है।आज दस दिनों से सरकार के निर्देश का दिहाड़ी मजदूर लॉकडाउन का अक्षरशः पालन कर रहे हैं।वे कहते हैं गरीबों की औकात न पूछो तो अच्छा है,इनकी कोई जात न पूछो तो अच्छा है।गरीबों का एक भी परिवार न भूखा रहे इस लिए सूखा राशन वितरण किया जा रहा है।अबतक 3000 हजार परिवार की सूची मिली है।