रघु यादव मस्तूरी की रिपोर्ट
देश प्रदेश में करोना महामारी के वजह से एक तरफ जहां पूरा देश प्रदेश चिंतित है तो दूसरी तरफ शासन प्रशासन के लोग लाचार बेबस मजबूर किसानों के जेब में डाका डालते फिर रहे हैं। किसान घरेलू खर्चे से लेकर कृषि कार्य व अन्य छोटे-मोटे साहूकारों के कर्ज से डूबे हुए हैं जिसे किसी भी तरह अपने पूर्वजों की जमा पूंजी जमीन जायदाद को खरीदी बिक्री कर अपना जीवन यापन करने हेतु व्यवस्था व समस्या से जूझ रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ शासन प्रशासन में बैठे जवाबदार अधिकारी छोटी मोटी समस्या बता बता कर किसानों को हफ्तों महीनों छोटे से कागजात के नाम से घुमा घुमा कर परेशान कर देते हैं उसके बाद मोटी रकम लेकर किसानों के कार्य को कर रहे हैं।
ऐसा ही मामला मस्तूरी क्षेत्र के तहसील कार्यालय में भी खूब लूटा लूट मचा हुआ है। प्रत्येक हल्का के पटवारी डिजिटल सिग्नेचर एवं जमीनों को ऑनलाइन करने सीमांकन करने व सीफॉर्म मे दस्तखत करने से लेकर जाति निवास आमदानी व पटवारी प्रतिवेदन मैं हस्ताक्षर सील लगाने के लिए बेबाक बेधड़क होकर खुला रुपयों का डिमांड करते हैं। बकायदा लेनदेन करने के लिए अपने साथ कोटवारों को माध्यम बनाए हुए हैं। इनकी सभी क्रियाकलापों के बारे में उच्च अधिकारियों को भी नालेज है किंतु सभी अपने-अपने कमीशन खोरी में लिप्त हैं। सभी का कमीशन ऊपर से लेकर नीचे तक लगा हुआ है।
ऐसा ही एक मामला मस्तूरी तहसील के पटवारी हल्का नंबर 30 का सामने आया है जहां हल्का नंबर 30 के पटवारी डिजिटल सिग्नेचर के लिए अपने हल्का क्षेत्र के एक हितग्राही को विगत 15 दिनों से अपने विभिन्न प्रकार की समस्या बताकर घुमाने फिराने के बाद₹2000 लेकर उनका दस्तावेज कंप्लीट किया। पटवारी अपने कार्यालय में बकायदा दो कोटवारों को अपने कामकाज में सहूलियत को लेकर रखे रहते हैं जो पटवारि के कहने पर ऑफिशियल कामकाज करवाने आऐ किसानों से पैसे का डिमांड करके मोटी मोटी रकम लेते हैं।और पटवारी की मदद करते हैं। जिसे कार्यालय बंद होने के बाद बटवारा करते हैं। मस्तूरी क्षेत्र के प्रत्येक हल्काओ में शासन के नियम विरुद्ध प्रत्येक काम का अलग से रेट तय है। काम करवाने आए किसान जब तक उसका शुल्क जमा नहीं करते कामकाज आगे नहीं बढ़ता। जिसे लेकर मस्तूरी क्षेत्र के गरीब किसानो मैं रोष है। और क्षेत्र के पटवारी कार्यालयों में हो रहे इन सभी समस्याओं को लेकर जिला कलेक्टर के पास जाने को रणनीति बना रहे हैं।