हरिश साहू की रिपोर्ट
जांजगीर जिला में एक बार फिर 2 बालिकाओं को बालिकावधू बनने से रोका गया | अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं कलेक्टर के मार्गनिर्देशन में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दो नाबालिग कन्याओं का 27 जून को होने वाले विवाह पर रोक की कार्रवाई की गई।
जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती प्रीति खोखर चखियार एवं जिला एवं महिला बाल विकास अधिकारी श्री चंद्रवेश सिंह सियोदिया द्वारा बाल विवाह संबंधी सूचना प्राप्त होने पर तत्काल कार्यवाई की गयी। जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री गजेन्द्र सिंह जायसवाल ने टीम तैयार कर पुलिस विभाग से समन्वय कर सूचना के आधार पर ग्राम हसौद में एक ही घर के दो बालिकाओं की अंकसूची जांच की गई। जांच में एक बलिका की आयु 17 वर्ष 10 माह और दूसरी बलिका की आयु 16 वर्ष होना पाया गया। इन बालिकाओं का विवाह 27 जून को प्रस्तावित था।
दोनों बालिकाओं उनके माता.पिता और स्थानीय लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। समझाईस के पश्चात सरपंच एवं स्थानीय लोगों की उपस्थिति में दोनों बालिका के माता.पिता की सहमति से बालिकाओं का विवाह रोका गया है। दल में अध्यक्ष विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती मंजूलता सिंहए पर्यवेक्षक श्रीमती अशोक बाईए एसआई श्री चंदन सिहए आरक्षक मंजू सिंहए श्री नरेन्द्र बंजारे और चाइल्ड लाइन के कर्मचारी शामिल थे ।
ज्ञात हो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह कराने वाले माता.पिताए विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदारए विवाह कराने वाले पंडित के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है। अधिनियम के तहत 02 वर्ष का कठोर सश्रम कारावास तथा 01 लाख रूपये के जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है।