सन्नी यादव की रिपोर्ट
जांजगीर-चांपा । राज्य सरकार द्वारा पशुपालक किसानों को प्रोत्साहित करने, मवेशियों को नियंत्रित कर फसलों को सुरक्षित करने के लिए हरेली त्यौहार के अवसर पर गोधन न्याय योजना की शुरूवात की है। गोधन योजना के साथ ही रोका-छेका अभियान से मवेशी नियंत्रित होकर गौठान में रहेगें, जिससे खुले में घुमने वाले पशुओं से खेत में लगी किसानों फसल सुरक्षित रहेगी। गोधन न्याय योजना और रोका छेका अभियान से नगरीय निकायों में मवेशियों से होने वाली समस्याओं का समाधान होगा। मवेशियों के अपशिष्ट से होने वाली बीमारियों व गंदगी से निजात मिलेगी। वहीं मवेशियों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। दूग्ध व्यवसाय से जुड़े पशुपालको को भी दूध के अलावा अब गोबर से आमदनी होगी। जिससे वे अपने पशुओं को बेहतर व्यवस्था कर सकेंगे और उनके व्यवसाय में वृद्धि होगी।
राज्य शासन ने गोबर को मूल्य दो रूपए प्रति किलों निर्धारित किया है। इसे खरीदने के लिए किसानों को क्रय पत्रक भी बनाया जा रहा है। बेचे गए गोबर की मात्रा और तारीख का उल्लेख होगा तथा 15 दिनों में पंजीकृत किसान के खाते में आनलाइन भुगतान किया जाएगा। प्रथम दिन गोबर बेचने पहुंची ग्राम लखाली की श्रीमती गोमती, राजकुमारी, मोंगरा और खिलेश्वरी ने कहा कि अब तक वे गोबर से कण्डे बनाती थी या घर के बाड़ी के घुरवा में गोबर को डालना पड़ता था। ज्यादातर घरो में रसोई गैस सिलेण्डर होने से कण्डे की मांग लगभग समाप्त हो गयी है। कण्डे बनाने, सुखाने और बरसात मे सुरक्षित रखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और समय भी अधिक लगता है। अब गोबर का सही मूल्य मिल जाने से उन्हें कम समय में ज्यादा आमदनी होगी। बाड़ी के घुरवा में तैयार गोबर खाद से अच्छा गांव के गौठान से वर्मी कंपोस्ट खाद मिल जाएगा। जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी। श्रीमती गोमती ने बताया कि उसके पास 7 गाय, राजकुमारी के पास 6, खिलेश्वरी के पास 03 गाय है। उसने गोबर विक्रय पत्रक बनवा लिया हैं। अब गोबर को प्रतिदिन गौठान में बेचेगेें। कण्डे बनाने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और अधिक लाभ भी होगा। उन्होंने कहा कि गोधन योजना से पशुपालक किसानों को प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने इस योजना की प्रसंशा करते हुए राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।
उल्लेखनीय है कि गोधन योजना के प्रथम दिन जिले के विभिन्न गौठानों के माध्यम से 928 पशुपालकों से कुल 13 हजार 771 किलो गोबर खरीदा गया। किसानों को गोबर क्रय पत्रक दिया गया है। जिसमें खरीदे गए गोबर की मात्रा और तारीख का उल्लेख तथा गोबर बेचने वाले किसान का हस्ताक्षर लिया जाता है। किसानों के बैंक खाते में राशि आंनलाईन भुगतान की जाएगी।