सन्नी यादव की रिपोर्ट
दांतेवाड़ा छत्तीसगढ़। आप सबने स्टोन, मौली, ऊन,और रेशमी धागों से बनी राखियाँ तो बहुत देखी होंगी, लेकिन इस रक्षाबंधन पर पहली बार दंतेवाड़ा मे छिंद के पत्तों से बनी बहुत ही सुंदर एवं देसी राखियाँ देखने को मिलेगी
जिला मुख्यालय से सटे गांव झोड़ियाबाड़म में दिव्यांग अनिल पर इन दिनों छिंद के पत्तों से राखियां बनाने का जुनून सवार हुआ है।
इस कला को लेकर अनिल इतने उत्साहित है कि वह अपने गांव की महिलाओं व युवतियों को छिंद के पत्तों से राखियां और गुलदस्ता बनाने की मुफ्त में ट्रेनिंग दे रहे है।
गांव की महिलाएं भी बेहद उत्साहित होकर इस कला को सीख रही हैं और राखियां, गुलदस्ते भी बना रही हैं।
इस बातकी जानकारी जब दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर दीपक सोनी सर को मिली तो कलेक्टर सर ने मामले में दिलचस्पी दिखाई व कहा कि अनिल की बनाई राखियों को बाजार उपलब्ध कराएंगे। न सिर्फ दंतेवाड़ा बल्कि राजधानी रायपुर के बाजार मे भी भेजी जाएगी दंतेश्वरी मार्ट में रखेंगे, यहां से होम डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध होगी।
अनिल के साथ साथ और भी कई लोग इस कार्य को बड़े उत्साहित होकर पूर्ण कर रहे है। जिला प्रशासन ने भी इनकी सहायता के लिए बहुत अच्छा कदम उठाया है। और स्टोन, डोरीयों जैसे फैंसी मटेरियल उपलब्ध कराया है और छिंद पत्तों से बनी 500 राखियों का ऑर्डर भी दिया है।
नई सोच और नये कार्य के साथ अब दंतेवाड़ा के युवा पीढ़ी अपनी कलाकारी अन्दाज से अपनी और दंतेवाड़ा की एक अलग पहचान बनाने को तैयार है। इन कलाकारो के लिए भगवान से दुआ है कि इन सबके द्वारा की गई मेहनत बहुत अच्छी रंग लाये और इनके द्वारा बनाई गई राखी सबको पसंद आये।