रघु यादव मस्तूरी की रिपोर्ट
मस्तूरी। एक और जहां केंद्र सरकार राज्य सरकार किसानों के हित के लिए नए-नए योजनाओं से लेकर कई लाभकारी योजनाएं उपलब्ध करा रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर जवाबदार अधिकारियों के मौन धारण करने से उनके छोटे छोटे कर्मचारी लगातार किसानों के जेब में डाका डाल रहे है। छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी सरकार किसानों के हित के लिए बड़े-बड़े वायदे तो कर रहे हैं लेकिन धरातल पर किसानों से लूट खसौट आज भी बरकरार है। ताजा मामला मस्तूरी मुख्यालय के तहसील कार्यालय के है जहां तहसील कार्यालय की भुईयां शाखा में किसानों की धान पंजीयन करने के नाम पर वहां के ऑपरेटर एवं कर्मचारी एजेंट लगाए हुए और किसानों से ₹500 एवं ₹1000 लेकर तत्काल पंजीयन करने की बात कहते हुए मोटी रकम ऐठ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी नजदीक में बैठे उच्च अधिकारियों को ना हो। जानकारी होने के बावजूद मस्तूरी तहसील कार्यालय के जवाबदार अधिकारी मौन धारण करें हुऐ हैं।मस्तूरी तहसील कार्यालय में सैकड़ों की संख्या में रोज किसान पंजीयन करवाने के नाम से लंबी-लंबी कतारें लगा रहे लेकिन जो किसान कर्मचारियों के जेब भर रहे हैं उन्हीं का पंजीयन तत्काल हो रहा है बाकी किसानों का फार्म को रद्दी कागज समझ कोने पर रख दिया जा रहा है। इसी लापरवाही के चलते पिछले वर्ष भी कई सैकड़ों किसानों के पंजीयन नहीं हो पाया था जिसके कारण धान मंडियों में धान बेचने से किसान वंचित रह गए थे। जिसका श्रेय कहीं न कहीं लापरवाह कर्मचारियों का है। इस वर्ष भी स्थिति को देखकर ऐसे लग रहा है कि कई सैकड़ों किसान इस बार भी पंजीयन नहीं होने की वजह से धान बेचने से वंचित रह जाएगें। किसानों की इस समस्या को मस्तूरी तहसील कार्यालय में कोई भी जवाबदार अधिकारी सुनने को तैयार नहीं।