हरिश साहू की रिपोर्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय ने वर्तमान अध्यक्ष के बयान को महिला विरोधी और गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा है कि राज्य का वुमन कमीशन, एंटी वुमन कमीशन की तरह काम कर रहा है। हर्षिता पांडेय ने कहा कि वर्तमान अध्यक्ष का यह बयान कि, अधिकांश महिलाएं अपनी सहमति से संबंध बनाती है और बाद में बलात्कार का आरोप लगाती है, कतई स्वीकार्य नहीं है। ऐसा कहते समय शायद अध्यक्षा ये भूल गयीं कि, किसी से भी छलपूर्वक या ग़लत जानकारी के आधार पर प्राप्त सहमति को सहमति नहीं माना जा सकता। एक या कुछ घटनाओं के आधार पर एक सामान्यीकृत निष्कर्ष निकालकर उसे सारी महिलाओं पर लागू नहीं किया जा सकता। ऐसा करने की बजाय हर मामले को एक-दूसरे से स्वतंत्र और बिना किसी पूर्वाग्रह के देखा जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि एक ऐसी संस्था जो महिलाओं के हितों के संरक्षण और संवर्धन के लिए है, के सर्वोच्च पद पर बैठे पदाधिकारी द्वारा अधिकांश महिलाओं के प्रति ऐसा पूर्वाग्रह रखना दुर्भाग्यपूर्ण है। महिला वर्ग को, उसके हितों को यहाँ तक कुछ मामलों में उनके अस्तित्व को भी विधिक संरक्षण की आवश्यकता है तभी तो महिला आयोग है। जिनके कंधों पर संरक्षण का दायित्व है जब वो ही ऐसी सोच रखने लगें तो ऐसे में राज्य में महिला आयोग को वुमन कमीशन ( woman commission ) कहने की बजाय एंटी वुमन कमीशन ( anti woman commission) कहना ज़्यादा उचित होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब सत्ता में बैठे लोग कोंडागांव, बलरामपुर, कवर्धा और जशपुर जैसे मामलों में महिलाओं के साथ हुए अत्याचार में न्याय दिलाते नही दिखते तब महिला आयोग एवं इस सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। हर्षिता पांडेय ने महिलाओं से आह्वान किया और भरोसा दिलाया कि राष्ट्रीय महिला आयोग की सलाहकार होने के नाते वे प्रदेश की सारी महिलाओं के साथ हर स्थिति में उनके हितों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग के माध्यम से हर कदम पर साथ खड़ी हैं।