प्रधान संपादक की रिपोर्ट
यूपी में भाजपा का फोकस इस समय शिक्षक और स्नातक कोटे की खाली हुई एमएलसी सीटों पर केंद्रित हो गया है। इसके लिए व्यापक व्यूह रचना भी की गई है। वहीं एक ओर पार्टी की नजर पहली बार वोटर बने सीबीएसई स्कूलों के शिक्षकों पर भी है। तो दूसरी ओर पार्टी मदरसों का दरवाजा भी खटखटाएगी और सरकारी अनुदान लेने वालों के साथ ही पंजीकृत मदरसों के शिक्षकों से भी संपर्क कर समर्थन मांगा जाना है। साथ ही भाजपा की रणनीति यूपी में अपने विजय रथ को किसी पड़ाव पर रुकने भी नहीं देना है। प्रदेश में शिक्षक और स्नातक खंड की पांच रिक्त सीटों के लिए चुनाव प्रक्रिया भी चल रही है। वहीं इसमें तीन सीटें खंड स्नातक की और दो खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की भी हैं। साथ ही स्नातक कोटे की सीटें तो पहले से भाजपा के पास थीं और शिक्षक कोटे की दोनों सीटों पर शिक्षक संगठनों का कब्जा भी था।अब भाजपा शिक्षकों के बीच बढ़ाकर इन सीटों को भी जीतना चाहती है। वहीं प्रत्याशी तो अपने स्तर से जुटे ही हैं, साथ ही पार्टी ने अपने स्तर से भी हर वोटर तक पहुंचने के लिए रणनीति को तैयार किया है। सांसद-विधायकों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है।
सरकारी शिक्षकों से संपर्क करने के अलावा वित्तविहीन शिक्षकों को अपने पाले में लाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। पार्टी ने प्रत्याशी तय करने में भी इसका ध्यान रखा है वहीं मदरसा शिक्षकों से समर्थन मांगने में पार्टी कोई भी परहेज नहीं करेगी। पार्टी का यह मानना है कि मोदी-योगी सरकार ने बिना भेदभाव के तमाम योजनाओं का लाभ सभी को दिया है। वहीं लाभांवित होने वालों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक भी हैं और ऐसे में उनसे भी चुनाव में सहयोग और समर्थन मांगा जाएगा।