पीड़ित से वाहन जब्ती करने की धमकी देकर लिए गए ₹16000।
जैजैपुर / हसौद- बीते मंगलवार की देर शाम कोयले से भरी वाहन जो की छाल से रायपुर जा रही थी और रास्ता भूलने के कारण हरेठी खुर्द के पास पहुंची थी तभी किसी के द्वारा तहसीलदार को सूचना दिए जाने पर मौके पर पहुंचकर वाहन चालक से पूछताछ की गई उन्होंने बताया कि वाहन छाल से रायपुर जा रही थी और मैं रास्ता भटक गया था और इस रास्ते में आ गया उसके बाद तहसीलदार के साथ आए युवक जोकि हसौद उप तहसील में कंप्यूटर ऑपरेटर है के द्वारा पैसों की माँग करते हुए परेशान करने के बाद ट्रक ड्राइवर ने अपने मालिक को फोन लगाया जिन्होंने अपने सीपत निवासी मित्र चीनीलाल साहू को मौके पर भेजा जहां पर नायब तहसीलदार कमल किशोर पाटनवार के साथ पहुंचे कंप्यूटर ऑपरेटर भीषम कुर्रे ने मामले को रफा-दफा करने की ऐवज में 25 /30 हजार रुपये की मांग की चीनीलाल साहू ने कहा कि 5000 मैने रखा है आप ले लीजिए और जाने दीजिए, वाहन के सारे कागजात सही हैं यह ड्राइवर रास्ता भटक गया है लेकिन वह युवक इतने में नहीं माना और गाड़ी जब्ती करने की धमकी देकर उससे ₹16000 ले लिए ,जिसकी सूचना चीनीलाल ने अपने रिश्ते में मामा और शिवसेना के किसान प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष धनाराम साहू को फोन द्वारा दिया , धनाराम साहू के द्वारा नायब तहसीलदार को फोन करके जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया जिसकी सूचना आज पीड़ित चिनीलाल और धनाराम साहू ने पत्रकारों को दी।
मामले में पीड़ितों के बयान लेकर जब पत्रकार नायब तहसीलदार कमल किशोर पाटनवार के पास पहुंची तो उन्होंने पहले तो यह कहते हुए पल्ला झाड़ा कि मुझे इस मामले में बिल्कुल भी जानकारी नहीं है लेकिन जब तथ्य सामने रखे गए तो उन्होंने यह बात स्वीकारा कि वे उक्त ट्रेलर के पास पहुंचे थे और कागजात देखकर वहां से ट्रक को छोड़कर वापस अपने कार्यालय पहुंच गए थे ,पैसों के लेनदेन के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उसके बाद जब संबंधित कंप्यूटर ऑपरेटर भीषम कुर्रे से संपर्क कर इस मामले में उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने तहसीलदार के द्वारा बयान देने से मना करने का बहाना बनाकर अपना पक्ष नहीं रखा जिससे साफ पता चलता है कि दाल में कुछ तो काला है अन्यथा कोई व्यक्ति अपने ऊपर लगे इल्जाम पर क्यों कुछ नहीं बोलेगा?
तहसीलदार कमल किशोर पाटनवार के खिलाफ पहले भी सुनने मिला था कि अवैध रेत उत्खनन में जो ट्रैक्टर गाड़िया थी उसने भी अवैध वसूली कराया जा रहा है कर के वही इसी उत्खनन मामले में देवरघटा ग्राम के 1 जे सी बी को छोड़ने के एवज में लाखों रुपये की डिमांड की गई थी। सरकारी कमर्चारी होने के बावजूद भी ये लोग प्राइवेट दल्ले रखे हुए है चाहे पटवारी या तहसीलदार हो या हसौद थाना जिन्हें कुछ नुमाइंदो के कहे अनुसार कार्य करती है चाहे वह अवैध वसूली का हो या फिर दारू गांजा बेचने वाला क्यो न हो।
अब यहां पर सवाल यह उठता है कि जब जनता के हितों की रक्षा के लिए बैठे अधिकारी ही इस प्रकार की लूट मचा कर रखेंगे तो आम जनता की हितों की रक्षा आखिर करेगा तो कौन