अनिल अनूप
मानव सभ्यता का स्वभाव रहा है कि खुद को उपस्थित चुनौतियों के अनुरूप ढाल कर मनुष्य ने जिजीविषा का परिचय दिया है। कमोबेश यही स्थिति कोरोना संकट के दौर में उत्पन्न हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में स्वीकारा कि हर मुश्किल हालात कुछ सबक दे जाते हैं, कुछ नया सिखा जाते हैं। इस दौरान देशवासियों में जो संकल्प-शक्ति दिखाई दी है, वह नये बदलाव का प्रतीक है। हर क्षेत्र बदलाव की तरफ बढ़ा है। अब चाहे संकट में फंसे लोगों की मदद का प्रश्न हो या फिर अस्पतालों की व्यवस्था; एकजुटता नजर आई है। मेडिकल इक्विपमेंट का देश में तेजी से निर्माण शुरू हुआ है। देश एक साथ एक लक्ष्य की तरफ बढ़ा है। उन्होंने स्वीकारा की बदलते वक्त के साथ मास्क हमारे जीवन का हिस्सा बन जायेगा। हर व्यक्ति के लिए अपनी व दूसरों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। कल हो सकता है यह सभ्य समाज का प्रतीक बन जाये। उन्होंने स्वीकारा कि ताली, थाली, दीया व मोमबत्ती आदि चीजों ने देशवासियों को एकजुटता के साथ कुछ कर गुजरने को प्रेरित किया। नि:संदेह हम टीम भावना से मुश्किल लक्ष्य भी सहजता से हासिल कर लेते हैं। कोरोना काल का एक सकारात्मक बदलाव यह भी है कि देश में पुलिस मित्र और संकटमोचक के रूप में सामने आई। अब तक वह डराने वालों के रूप में देखी जाती थी। इस बार वह रचनात्मक पहल करती नजर आई।
इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना युद्ध में नागरिक दायित्वबोध तो नजर आया ही, साथ ही कोशिश हुई कि देश महामारियों से लड़ाई के लिए स्थायी संसाधन कैसे हासिल करे। कई लोकोपयोगी खोज हुईं। देश में जीवनरक्षक मेडिकल उपकरण बनाने की पहल हुई। जहां वैज्ञानिक व चिकित्सक कोरोना का उपचार तलाशने में जुटे रहे, वहीं देश को आत्मनिर्भर बनाने की पहल भी हुई। प्लाज्मा तकनीक से कोरोना मरीजों के उपचार के प्रयास सार्थक परिणाम दे गये। दिल्ली से केरल तक इसके प्रयोग सफल रहे। पीजीआई चंडीगढ़ की पहल से कुष्ठ रोग में दी जाने वाली दवा के उपचार से कोरोना रोगियों की सेहत में सुधार हुआ। इस वैकल्पिक दवा की तलाश हमारे डॉक्टरों की बड़ी सफलता साबित हो सकती है। ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया कोरोना के वायरस पर नियंत्रण के लिए वैक्सीन की खोज में जुटी है, ऐसे वैकल्पिक उपाय बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। पीजीआई ने छह मरीजों पर लगातार तीन दिन तक माइकोवैक्टेरियम डब्ल्यू (एम.डब्ल्यू.) वैक्सीन की दवा का प्रयोग किया और पाया कि वैक्सीन ऐसे रोगियों के उपचार के लिए सुरक्षित है। सेफ्टी ट्रायल के परिणाम उम्मीद जगाते हैं। जिन मरीजों को आक्सीजन की जरूरत थी, उन्हें एम.डब्ल्यू. वैक्सीन की दवा देने से उनकी सेहत में सुधार देखा गया। इससे पहले इस दवा का तपेदिक, निमोनिया व कुष्ठ रोग से ग्रस्त रोगियों में इस्तेमाल किया गया था और इस्तेमाल को सुरक्षित पाया गया।