प्रशान्त झा की रिपोर्ट
पटना: बिहार में भी नेपाल अब अपना हस्तक्षेप करने से बाज नहीं आ रहा है। ऐसे में सिर्फ नेपाल की वजह से ही बिहार के एक बड़े हिस्से में बाढ़ आने से लाखों लोगों की जिंदगियों पर खतरा बना हुआ है। इस मसले पर नेपाल की सरकार नें बिहार के पूर्वी चंपारण में लालबकेया नदी पर चल रहे तटबंध के काम को भी रुकवा दिया गया है। इसी मुद्दे पर बिहार के जल ससांधऩ मंत्री संजर कुमार झा ने बताया कि नेपाल गंडक बांध के लिए मरम्मत कार्य की इजाजत नहीं दे रहा है। जबकि लाल बकेया नदी ‘नो मैंस लैंड’ का पार्ट है। आगे उन्होंने कहा कि इसके अलावा नेपाल ने कई अन्य स्थानों पर मरम्मत का काम रोक दिया है। पहली बार हम लोग ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं। हम मरम्मत कार्य के लिए सामग्री तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
आगे कहते हुए हमारे स्थानीय इंजीनियर और डीएम संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और अब मैं मौजूदा स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखूंगा। इसी कड़ी में उन्होंने आगे कहा कि यदि इस मुद्दे को समय पर नहीं देखा गया तो बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ आ जाएगी। संजय झा ने आगे कहा कि अगर हमारे इंजीनियरों के पास बाढ़ से लड़ने वाली सामग्री नहीं पहुंचेगी तो बांध की मरम्मत का काम प्रभावित होगा, अगर नेपाल में भारी वर्षा के कारण गंडक नदी का जल स्तर बढ़ता है तो यह एक गंभीर समस्या पैदा कर देगा। आगे संजय कुमार झा ने कहा कि गंडक बैराज के 36 द्वार हैं, जिनमें से 18 नेपाल में हैं। भारत ने अपने हिस्से में आने वाले फाटक तक के बांध की हर साल की तरह इस साल भी मरम्मत कर दी है।
इसके साथ ही वहीं नेपाल के हिस्से में आने वाले 18वें से लेकर 36वें फाटक तक बने बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है। नेपाल बांध मरम्मत के लिए सामग्री नहीं ले जाने दे रहा है। नेपाल ने उस क्षेत्र में बाधा डाली है।