अनिल अनूप
यह साबित हो गया कि कोरोना वायरस की आंख नहीं होती। यही कारण है कि उसने महामहिम और सदी के महानायक तथा अमीर से आम आदमी तक किसी को नहीं छोड़ा। इस दौर की सबसे चौंकाने वाली खबर यही है कि फिल्मों के ‘शहंशाह’ अमिताभ बच्चन, उनके अभिनेता-पुत्र अभिषेक, बहू ऐश्वर्य राय बच्चन और पोती आराध्या कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। बेशक संक्रमण के लक्षण हल्के हैं या बहू-पोती में तो लक्षण ही नहीं हैं, लेकिन सभी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। सिर्फ पत्नी जया बच्चन और बेटी श्वेता के टेस्ट नेगेटिव आए हैं। आश्चर्य संक्रमित होने पर कम है, लेकिन जो परिवार दुर्ग-सी जिंदगी में सुरक्षित है, साधन और सुविधाओं से संपन्न है, लॉकडाउन के पूरे अंतराल में घर तक ही सिमट कर रहा हो, उस घर तक कोरोना वायरस कैसे पहुंच गया? यह कोरोना संक्रमण का अप्रत्याशित रुझान भी है और देश को संदेश भी देता है कि यदि अमिताभ बच्चन सरीखा अनुशासित, मर्यादित, जागरूक और सचेत व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो सकता है, तो फिर वायरस की चपेट से सुरक्षित कौन है? ‘महानायक’ एक बार फिर बीमारी या हादसे की गिरफ्त में हैं, लेकिन ‘कुली’ फिल्म की शूटिंग के दौरान दुर्घटना से लेकर, टीबी, आंतों के ऑपरेशन, पेट के ऑपरेशन, हेपेटाइटिस बी, 25 फीसदी लिवर के साथ जिंदा रहने और अन्य शारीरिक बीमारियों तक अमिताभ बच्चन के निजी अनुभव थे, लेकिन इस बार कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने उन्हें घेरा है, लिहाजा चिंता और सरोकार ज्यादा हैं। बेशक ‘महानायक’ असल जिंदगी में भी, अपने फिल्मी किरदारों की तरह, महायोद्धा हैं और धैर्यवान भी हैं, लिहाजा वह ‘विजय’ हासिल करते रहे हैं। देश का विश्वास है कि इस बार भी वह ‘विजयी’ होकर लौटेंगे। कई शहरों के मंदिरों में उनके लिए पूजा-पाठ कर दुआएं की जा रही हैं। अब तो यह भी वैज्ञानिक शोध का निष्कर्ष है कि दवाओं की तुलना में दुआएं किसी भी अस्वस्थ इनसान के लिए ज्यादा कारगर साबित हो रही हैं। बहरहाल मुंबई का वह इलाका, जहां बच्चन परिवार के चारों बंगले हैं, सबसे ज्यादा संक्रमित इलाकों में एक है। बीएमसी ने चारों बंगलों को सेनेटाइज करके सील कर दिया है और उसे कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। ऐश्वर्य और आराध्या उन्हीं बंगलों में कहीं क्वारंटीन करेंगे? जो उच्च स्तर के संपर्क में रहे 28 कर्मचारी हैं, क्या वे भी ‘महानायक’ के बंगले में ही पृथकवास का समय गुजारेंगे? अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कोरोना वायरस के राष्ट्रीय परिदृश्य को देखें, तो करीब 45 फीसदी मौतें महाराष्ट्र में ही हुई हैं और संक्रमण के 30 फीसदी मामले इसी राज्य से आए हैं। महाराष्ट्र की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 91,000 से अधिक संक्रमित मामले सामने आ चुके हैं। उनमें से 5300 से ज्यादा उसी वार्ड से हैं, जहां बच्चन परिवार के बंगले हैं। ऐसा ही आश्चर्यजनक संदर्भ तब सामने आया, जब मुंबई में ही स्थित ‘राजभवन’ के 18 कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित होने के कारण महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी को क्वारंटीन में जाना पड़ा है, हालांकि उनका टेस्ट नेगेटिव आया है। प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री रेखा का बंगला भी सील कर दिया गया है, क्योंकि उनका सुरक्षाकर्मी संक्रमित हो गया था। मुंबई में ही एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी अपने घनत्व और संकरेपन के कारण चिंता का सबब थी। वहां गरीब लोग एक ही कमरे में 7-8 लोग रहने को अभिशप्त थे, शौचालय भी साझा था, आबादी इतनी थी कि ‘दो गज की दूरी’ के सिद्धांत का पालन करना असंभव था, लेकिन अपने संकल्प और कोशिश के कारण आज वही बस्ती वैश्विक उदाहरण बनी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सार्वजनिक तौर पर उसके प्रयासों की प्रशंसा की है और खूब शाबाशी दी है। एकमात्र उदाहरण पर महाराष्ट्र और मुंबई इतरा नहीं सकते। जहां तक ‘महानायक’ का सवाल है, तो उनकी उम्र के मद्देनजर डॉक्टर एक सप्ताह में देखेंगे कि संक्रमण का उनके फेफड़ों पर क्या असर पड़ा है। भारत में कोरोना वायरस का फैलाव सामुदायिक नहीं माना जा रहा, लेकिन संक्रमण के आंकड़े 8.5 लाख को पार कर चुके हैं। औसतन तीन दिन में एक लाख संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं, बेशक हमारी मृत्यु दर और संक्रमण के बाद स्वस्थ होने वालों की दर दुनिया के देशों से बहुत बेहतर है, लेकिन हमने इतने बड़े आंकड़े की कभी कल्पना ही नहीं की थी। चूंकि संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है, इसका औसत भी 10-12 फीसदी है, लिहाजा अब लॉकडाउन भी बेमानी लगता है। बहरहाल अमिताभ तो कोरोना के खिलाफ देश को जागृत करने वालों में शुमार रहे हैं। प्रार्थना है कि वह और उनके परिजन शीघ्र ही स्वस्थ हों।