अनिल अनूप
कोरोना वायरस के आंकड़े और संकेत विरोधाभासी हैं। हर रोज 60-70 हजार के बीच नए संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। कुल मरीज 29 लाख के पार चले गए हैं, लिहाजा यह आंकड़ा चौंकाता और कुछ डराता भी है, लेकिन कोरोना-मुक्त संख्या भी 21.5 लाख हो चुकी है। गुरुवार को पहली बार 61,141 लोग ठीक भी हुए हैं और स्वस्थ होने की दर भी 74 फीसदी से अधिक हो गई है। बेशक ये बेहद सुखद संकेत हैं। गौरतलब यह है कि बीते 16 दिनों के दौरान नए मरीजों का औसत लगभग स्थिर रहा है। पॉजिटिविटी रेट कम होकर करीब 7.5 फीसदी तक लुढ़का है। यदि यह दर 10 फीसदी से लगातार कम है, तो जाहिर है कि मरीज मिलने का औसत कम हो रहा है। यह भी बेहतर संकेत है। मृत्यु-दर घट कर 1.89 फीसदी दर्ज की गई है। इससे ज्यादा मौतें तो तपेदिक, मातृ-शिशु मृत्यु-दर और कुपोषण तथा अन्य संक्रमण में होती रही हैं। दरअसल उन मौतों के आंकड़े हररोज मीडिया की सुर्खियां नहीं बनते, लिहाजा हम उनके प्रति अनजान रहते हैं। उनकी तुलना में कोरोना वायरस का संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है और उसे वैश्विक महामारी भी घोषित किया हुआ है, लिहाजा कोरोना अपेक्षाकृत ज्यादा डरा रहा है। सवाल है कि यदि संक्रमण की गति और फैलाव लगभग ‘स्थिर’ होते दिखाई दे रहे हैं, तो क्या कोरोना अपने ‘चरम’ पर पहुंच चुका है? और अब उसके घटने के आसार हैं? गौरतलब यह भी है कि हिमाचल, राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, उप्र, बिहार, ओडिशा, गुजरात, असम, गोवा और केरल आदि 26 राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों में मरीज मिलने की दर राष्ट्रीय औसत से कम हो गई है। कई जगह तो नए मरीजों की संख्या कम है और कोरोना-मुक्त होने वालों का आंकड़ा ज्यादा है। यह समीकरण भी घटते संक्रमण की तरफ संकेत कर रहा है। दरअसल बीते एक सप्ताह के दौरान कोरोना के टेस्ट औसतन 1.66 लाख हररोज बढ़े हैं, फिर भी मरीज 2000 तक कम हुए हैं। बीती 19 अगस्त तक 3.26 करोड़ लोगों की जांच हो चुकी है। रोजाना नौ लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। सक्रिय मरीज बढ़ने की दर पहली बार 0.2 फीसदी पर पहुंची है। यानी सक्रिय मरीज 350 दिन में दोगुने होंगे। पूरे देश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब भी सात लाख से कम है। ये तमाम रुझान सुखद और सकारात्मक हैं, लेकिन महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में संक्रमण अब भी चिंताजनक स्तर तक बढ़ रहा है। महाराष्ट्र में ही गुरुवार को 14,492 संक्रमित मामले मिले, जो अभी तक सबसे ज्यादा हैं। एक अकेले राज्य में संक्रमण इतना है, तो जाहिर है कि उससे राष्ट्रीय संख्या भी बढ़ेगी। महाराष्ट्र के करीब 6.50 लाख मरीज किसी भी राज्य में सर्वाधिक हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। बीच में 2-3 दिन अपवाद रहे हैं, अलबत्ता रोजाना 10,000 से अधिक मामले दर्ज किए जाते रहे हैं। प्रख्यात चिकित्सकों का मानना है कि सितंबर में स्पष्ट होने लगेगा कि भारत में कोरोना की स्थिति क्या होगी? अभी तो संक्रमण के मामले अमरीका और ब्राजील से भी ज्यादा हैं। कोरोना वायरस के आंकड़े और संकेत विरोधाभासी हैं। हररोज 60-70 हजार के बीच नए संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। कुल मरीज 29 लाख के पार चले गए हैं, लिहाजा यह आंकड़ा चौंकाता और कुछ डराता भी है, लेकिन कोरोना-मुक्त संख्या भी 21.5 लाख हो चुकी है। गुरुवार को पहली बार 61,141 लोग ठीक भी हुए हैं और स्वस्थ होने की दर भी 74 फीसदी से अधिक हो गई है। बेशक ये बेहद सुखद संकेत हैं। गौरतलब यह है कि बीते 16 दिनों के दौरान नए मरीजों का औसत लगभग स्थिर रहा है। पॉजिटिविटी रेट कम होकर करीब 7.5 फीसदी तक लुढ़का है। यदि यह दर 10 फीसदी से लगातार कम है, तो जाहिर है कि मरीज मिलने का औसत कम हो रहा है। यह भी बेहतर संकेत है। मृत्यु-दर घट कर 1.89 फीसदी दर्ज की गई है। इससे ज्यादा मौतें तो तपेदिक, मातृ-शिशु मृत्यु-दर और कुपोषण तथा अन्य संक्रमण में होती रही हैं। दरअसल उन मौतों के आंकड़े हररोज मीडिया की सुर्खियां नहीं बनते, लिहाजा हम उनके प्रति अनजान रहते हैं। उनकी तुलना में कोरोना वायरस का संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है और उसे वैश्विक महामारी भी घोषित किया हुआ है, लिहाजा कोरोना अपेक्षाकृत ज्यादा डरा रहा है। सवाल है कि यदि संक्रमण की गति और फैलाव लगभग ‘स्थिर’ होते दिखाई दे रहे हैं, तो क्या कोरोना अपने ‘चरम’ पर पहुंच चुका है? और अब उसके घटने के आसार हैं? गौरतलब यह भी है कि हिमाचल, राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, उप्र, बिहार, ओडिशा, गुजरात, असम, गोवा और केरल आदि 26 राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों में मरीज मिलने की दर राष्ट्रीय औसत से कम हो गई है। कई जगह तो नए मरीजों की संख्या कम है और कोरोना-मुक्त होने वालों का आंकड़ा ज्यादा है। यह समीकरण भी घटते संक्रमण की तरफ संकेत कर रहा है। दरअसल बीते एक सप्ताह के दौरान कोरोना के टेस्ट औसतन 1.66 लाख हररोज बढ़े हैं, फिर भी मरीज 2000 तक कम हुए हैं। बीती 19 अगस्त तक 3.26 करोड़ लोगों की जांच हो चुकी है। रोजाना नौ लाख से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं। सक्रिय मरीज बढ़ने की दर पहली बार 0.2 फीसदी पर पहुंची है। यानी सक्रिय मरीज 350 दिन में दोगुने होंगे। पूरे देश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब भी सात लाख से कम है। ये तमाम रुझान सुखद और सकारात्मक हैं, लेकिन महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में संक्रमण अब भी चिंताजनक स्तर तक बढ़ रहा है। महाराष्ट्र में ही गुरुवार को 14,492 संक्रमित मामले मिले, जो अभी तक सबसे ज्यादा हैं। एक अकेले राज्य में संक्रमण इतना है, तो जाहिर है कि उससे राष्ट्रीय संख्या भी बढ़ेगी। महाराष्ट्र के करीब 6.50 लाख मरीज किसी भी राज्य में सर्वाधिक हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। बीच में 2-3 दिन अपवाद रहे हैं, अलबत्ता रोजाना 10,000 से अधिक मामले दर्ज किए जाते रहे हैं। प्रख्यात चिकित्सकों का मानना है कि सितंबर में स्पष्ट होने लगेगा कि भारत में कोरोना की स्थिति क्या होगी? अभी तो संक्रमण के मामले अमरीका और ब्राजील से भी ज्यादा हैं।