नई दिल्ली. हाथों में अत्याधुनिक सिग सॉर राइफल्स लिए एलओसी पर तैनात भारतीय सेना के जवान आने वाली चुनौतियों से निपटने का अभ्यास कर रहे हैं. एलओसी के पास आतंकियों की घुसपैठ को नाकाम करने के लिए ऐसे ऑपरेशन आम हैं. क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर है, लेकिन आतंकियों की घुसपैठ पर पाकिस्तान की तरफ से कोई सीजफायर नहीं है और पूरे एलओसी पर आतंकियों को भारत में लॉन्च किया जा रहा है. लिहाजा भारतीय सेना अपने अत्याधुनिक हथियारों के जरिए आतंकियों से निपटने का काम कर रही है. हाल ही में भारत ने अमेरिका से सिग सॉर असॉल्ट राइफल ली हैं, जिनकी मारक क्षमता बहुत ज़बरदस्त है.
भारत की ओर से कभी भी सीजफायर का उल्लंघन नहीं किया जाता है, ऐसे में भारतीय सेना ने आतंकियों की घुसपैठ को रोकने के लिए अपने काउंटर इंसर्जेसी ऑपरेशन के तरीकों में थोड़ा बदलाव किया है.सीजफायर से पहले भारतीय सैनिक एलओसी को पार करते वक्त ही आतंकियों को ढेर कर देते थे, लेकिन अब जब भी ऐसी किसी घुसपैठ की जानकारी मिलती है तो पहले सेना मल्टी लेयर एंबुश लगाती है. एलओसी पार करने के बाद कुछ दूर तक आतंकियों को आने दिया जाता है और उसके बाद जैसे ही वो भारतीय सेना की फायर लाइन में आते हैं उन्हें टारगेट फायर कर ढेर कर दिया जाता है. बदली रणनीति के कारण आतंकियों को न तो वापस भागने का मौका मिलता है और ना ही वो दहशत फैला पाते हैं.
न्यूज18 इंडिया की टीम बीजी सेक्टर में एलओसी पर सबसे अग्रिम पोस्ट पर भी पहुंची. पहाड़ की चोटी पर पत्थर के संगडों और नुकीले तारों से घिरे इस पोस्ट से पाकिस्तान द्वारा भी दिन-रात निगरानी की जाती है. इस पोस्ट पर कई ऐसे नाइट विजन डिवाइस कैमरा लगाए गए हैं, जिससे एलओसी पार पाकिस्तान की सेना की किसी भी गतिविधियों को आसानी से मॉनिटर किया जा सकता है
भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत उन्नत सैन्य साजो सामान को सेना में शामिल कर रही है और जिस एनवीडी कैमरा डिवाइस को पूरे एलओसी पर पाकिस्तान की नापाक हरकत पर नजर रखने के लिए बनाया गया है वो काफी हद तक स्वदेशी है और पाकिस्तान के पास फिलहाल ऐसी कोई तकनीक नहीं है. वहीं, सभी पोस्ट पर बुलेट प्रूफ कांच और सरियों को जोड़कर एक मिसाइल स्क्रीन भी लगाई है. ये पोस्ट ऊंचाई पर है, लेकिन जब भी कभी पाकिस्तान पोस्ट से फायरिंग होती है तो तुरंत भारी भरकम रॉकेट लॉन्चर के साथ पोजीशन भी ले लेते हैं.
वैसे तो भारतीय सेना एलएसी पर चीन के खिलाफ पिछले एक साल से पूरी तरह से आमने सामने डटी हुई है. बड़ी तादाद में सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है और ये तैनाती अब भी जारी है. लेकिन पूर्वी लद्दाख में तैनाती के चलते एलओसी पर सैनिकों की संख्या में किसी भी तरह की कोई कटौती नहीं की गई है. जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले के बाद से चौकसी और तैयारियों को बढ़ाया गया है. शुक्रवार को पूरे वेस्टर्न बार्डर जिसमें एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर सुरक्षा हालातों का जायज़ा लेने के लिए एक ही दिन में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे पहुंचे. सीडीएस जनरल रावत गुरुवार देर शाम को जम्मू पहुंचे जहां उन्हें सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौजूदा सुरक्षा हालातों की जानकारी दी. वहीं जनरल रावत ने एलओसी पर भी भारतीय सेना की तैयारियों और सीज फायर के बाद की स्थिति पर भी नजर डाली. सेना प्रमुख नरवणे जैसलमेर पहुंचे जहां उन्होंने इंटरनेशनल बार्डर पर हालात की समीक्षा की.