कोविड-19 के प्रभाव के कारण लोगों में बहुत डर बैठा हुआ है प्रशासन ने जहां लोगों की सुरक्षा हेतु स्कूल कॉलेज और सार्वजनिक स्थलों पर पाबंदियां लगा कर रखी हैं वह आम जनता के हित के लिए ही हैं परंतु लंबे समय से बंद स्कूलों के कारण बच्चों की शिक्षा पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है जिसके कारण अभिभावक अब अपने बच्चों की शिक्षा के लिए सतर्क हैं वे चाहते हैं स्कूल खुले और बच्चे अपनी पढ़ाई शुरू करें, परंतु वैज्ञानिकों की माने तो जिनका दावा है कि अब कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंकाएं बहुत कम हो गई हैं लेकिन यह बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है उन्होंने दावा किया कि अगर ऐसा होता भी है तो यह दूसरी लहर की अपेक्षा बहुत कमजोर होगा. महामारी विज्ञानी ने बातचीत में कहा कि स्कूल खोलने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि कुछ नई स्टडीज में कहा गया है कि बच्चों में कोविड का प्रभाव लंबे समय तक गंभीर हो सकता है. उन्होंने कहा कि ‘स्कूल खोलने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण होना चाहिए. एक निश्चित क्षेत्र में मामलों की संख्या के आधार पर फैसला लिया जाना चाहिए.’
शीर्ष वैज्ञानिक का मानना है कि कोविड-19 आगे चलके इन्फ्लूएंजा वायरस की तरह ही बन सकता है. उन्होंने कहा ‘टीका लगवाने वालों को कोविड संक्रमण के बाद या तो उनमें लक्षण नहीं दिखेंगे या माइल्ड सिम्पटम होंगे.’ गंगाखेडकर ने कहा ‘हालांकि संक्रमणों की संख्या में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि टीके ‘स्टरलाइज़िंग इम्युनिटी’ नहीं देते, जो संक्रमण को भी रोक सकते हैं. ये टीके डिसीज मोडिफाइंग हैं लेकिन लोगों को संक्रमण से बचाने में सक्षम नहीं हैं.
कब तक कोरोना के बढ़ते मामलों से डरने की जरूरत नहीं?
ICMR के पूर्व अधिकारी ने कहा कि जब तक कोई नया वेरिएंट ना हो या टीके असर करना बंद ना करे, तब तक कोरोना के बढ़ते मामलों से डरने की कोई वजह नहीं है. उन्होंने कहा, ‘वायरस उन क्षेत्रों में फैलेगा जहां पहली और दूसरी लहर का असर कम रहा होगा. वायरस उन लोगों को प्रभावित करेगा जिन्हें अभी भी टीका नहीं लगाया गया है.’
उन्होंने कहा कि ‘कोविड हमें बहुत कुछ सिखा रहा है. यह मैं अपने अनुभव से समझता हूं. कोविड से संबंधित फैसलों में कुछ भी शत-प्रतिशत सुनिश्चित नहीं हो सकता है कि क्या सबसे अच्छा काम करेगा और कौन सा बिल्कुल भी काम नहीं करेगा. हमें सीखना जारी रखना होगा और अपने दृष्टिकोण में बदलाव करते रहना होगा.’