आज गांधी जयंती के अवसर पर बात करे गाँधी के सपनो के भारत की ,क्या महात्मा गांधी ने जो नए भारत का सपना देखा था वो सकारात्मक दिशा में बदलाव लाने में सफल है या नहीं ? अगर हम अपनी इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास को बदल सके तो हमारे आसपास की दुनिया बदल जाएगी। स्त्रियों के अधिकारों के साथ नहीं करते थे समझौता
बापू के न्यू इंडिया का सपना प्रेम, श्रम और रचनात्मकता से प्रेरित है। सत्य और अहिंसा के हथियारों से देश को
परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने में अहम योगदान करने वालेमहात्मा गांधी से आज पूरा विश्व प्रभावित है। उन्होंने हमारे इतिहास की धारा ही बदल दी। महात्मा गांधी ने हमें यह विश्वास दिया कि हमारे आपके जैसे सामान्य, सीधे और सरल लोग भी इतिहास बदलने की क्षमता रखते हैं। अगर हमारे शब्द, विचार,व्यवहार और कार्य संतुलित है, एक दूसरे से जुड़े हैं तो हम वह कर सकते हैं, जिसे अविश्वसनीय कहा जाता है।
महात्मा गांधी की महिलाओं के बारे में जो सोच है, उसे उनकी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ के तौर पर ज्यादातर जोड़ कर देखा गया है, लेकिन उस दौर में भी उनकी सोच महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर जितनी सुदृढ़ थी, वह इस दौर के लोगों के लिए भी एक मिसाल है। उनका पूर्ण विश्वास था कि जिस देश की आधी आबादी सक्रिय नहीं होगी, तो उसका पतन सुनिश्चित है। दक्षिण अफ्रीका में जब वह मात्र 30 वर्ष के थे, उसी समय से उन्होंने नारी मुक्ति आंदोलन से जुड़े कार्यक्रमों की अगुआई करना प्रारंभ कर दिया था। वहां की महिलाएं गांधी के काम को जानती थीं। भारत लौटने के बाद उन्होंने गांव और शहरों में सभी जगह घूम-घूमकर स्त्रियों को सक्रिय करना प्रारंभ कर दिया था। गांधी जी के प्रेरक विचारों से महिलाओं को बल मिला और उनके नेतृत्व में बड़ी संख्या में महिलाएं देश को आजाद कराने की राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुई थीं। गांधीजी महिलाओं को सशक्तीकरण के विषय के रूप में नहीं देखते थे, बल्कि उनका मानना था कि महिलाएं स्वयं इतनी सबल हैं कि खुद की ही नहीं वरन संपूर्ण मानव जाति के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
एक साधारण व्यक्ति ने हमारे देश की आजादी की लड़ाई की पूरी दिशा ही बदल दी। महिलाओं पर उनकी सोच ने हर भारतीय को प्रभावित किया और उनके विचार आज भी मुझे प्रेरित करते है। एक शांतिप्रिय देशभक्त के तौर पर मेरे व्यक्तित्व के विकास में वो बहुत बड़ा कारण हैं।
‘भारतीय महिलाओं का समृद्ध और मजबूत इतिहास है, हम बेहतर भविष्य, स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ दिमाग, सौहार्दपूर्ण संबंधों के बारे में सोचते रहते हैं लेकिन अक्सर अपना योगदान देना भूल जाते हैं। आपको खुद में वो परिवर्तन लाना होगा जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं’ यह शक्तिशाली उद्धरण मेरे हर दिन के साथ प्रतिध्वनित होता रहा, मेरे विकास के साथ ही इसका प्रभाव भी बढ़ता गया। मैं स्वतंत्र आत्मनिर्भर महिलाओं को देखना चाहती थी, ऐसी महिलाएं जो आसमान में विजय पताका फहरा सकती हों, इसलिए मैं भारतीय वायु सेना में शामिल हो गई। यह अभी भी मुझे ज्यादा, और ज्यादा करने के लिए प्रेरित करता है , सही और गलत को परंपराओं के बोझ के साथ नहीं तौलता है, जो परिस्थितियों से समझौता करने को विवश नहीं करता। एक देश तभी प्रगति कर सकता है जब उसके महिलाएं मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए पर्याप्त रूप से जिम्मेदार हों, उसके लिए योगदान दें।
बापू ने कहा था कि ‘अगर अहिंसा हमारे जीवन का धर्म है , तो भविष्य नारी जाति के हाथ में है। जहां तक स्त्रियों के अधिकारों का सवाल है, मैं कोई समझौता नहीं करूंगा’ – चलो हम भी यह प्रतिज्ञा ले कि हम अपनी प्रगति पर समझौता नहीं करेंगे।’ बापू की इस प्रतिज्ञा के साथ हम उनके नए भारत के सपने को पूरा करें और मजबूत भारत का हिस्सा बनें इसके लिए हमें सोचना होगा कि मैं कैसे योगदान कर सकती हूं? मैंने हमेशा महसूस किया कि प्रकृति ने हमें हर तरह से आशीर्वाद दिया है, पृथ्वी की-सी क्षमता, सूर्य जैसा तेज, समुद्र की-सी गम्भीरता, चन्द्रमा की-सी शीतलता, पर्वतों की-सी मानसिक उच्चता एक साथ नारी के ह्रदय में दृष्टिगोचर होती है। हमारे पास समय-समय पर केवल एक चीज की कमी हुई है और वह है ‘इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास’। अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो पाएंगे कि हमने इन दोनों गुणों को कभी गंभीरता से नहीं लिया है। युगों से चल रही बुराईयों को खोजना और उन्हें नष्ट करना जागरूक स्त्रियों का विशेषाधिकार है।