नई दिल्ली
वेतन में देरी के चलते बार-बार कर्मचारियों की हड़ताल पर उत्तरी निगम की गुहार के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार से फंड जारी करने को कहा है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर निगम को 328 करोड़ रुपये का फंड देने को कहा है। उपराज्यपाल का कहना है कि निगम को आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिए फंड की चाहिए।
उपराज्यपाल ने निगमायुक्त संजय गोयल के पत्र का हवाला देते हुए लिखा कि निगम कोरोना से बचाव के लिए बीते डेढ़ साल में काफी कार्य कर रहा है। कर्मियों के वेतन में देरी के चलते बीते दिनों अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ ने हड़ताल की थी। इतना ही नहीं, फंड की कमी की वजह से निगम अभी तक महंगाई भत्ता भी जारी नहीं कर पाया है। इसके लिए 240 करोड़ रुपये के फंड की आवश्यकता है।
अनिल बैजल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने संशोधित बजट अनुमान में 328 करोड़ की राशि कम कर दी है। निगम को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने और कर्मियों का वेतन जारी करने के लिए कम से कम 328 करोड़ रुपये चाहिए। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कहा है कि जनहित को देखते हुए राशि जारी की जाए और इस मामले में हस्तक्षेप प्रशंसनीय रहेगा।
निगम ने दिल्ली सरकार को ठहराया जिम्मेदार
उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने फंड में कटौती के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। स्थायी समिति के अध्यक्ष जोगीराम जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार राजनीति से प्रेरित होकर निगम के फंड में कटौती कर रही है।
पंजाब की शिक्षा व्यवस्था पर अरविंद केजरीवाल का हमला
शिक्षकों के वेतन के लिए 70 प्रतिशत राशि दिल्ली सरकार से आती है और 30 प्रतिशत निगम देता है। दिल्ली सरकार ने 70 में से भी 24 प्रतिशत की कटौती कर ली है। इतना ही नहीं, हस्तांतरण शुल्क के तौर पर दिल्ली सरकार से प्रतिमाह आने वाली 80 करोड़ की राशि भी अक्टूबर से जारी नहीं हुई है।
निगमों को दे दिया है पूरा पैसाः दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार का कहना है कि निगमों ने संवैधानिक नियमों के अनुसार पूरा फंड तीनों निगमो को जारी कर दिया है और एक रुपया भी बकाया नहीं है। केंद्र पर तीनों का 12 हजार करोड़ बकाया है। देशभर में केंद्र सरकार 488 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से निगमों को फंड देती है।
जबकि दिल्ली में यह नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की विभिन्न संपत्तियों पर हजारों करोड़ रुपये संपत्तिकर और मुफ्त विज्ञापन का बकाया है। निगम इस बकाया की वसूली कर कर्मियों को वेतन का भुगतान कर सकती है, लेकिन दिल्ली सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसा नहीं कर रही।