महामारी में हर किसी ने किसी न किसी अपने को खोया है, लेकिन हो सकता है कि उनकी मौत सरकारी आंकड़ों में कोरोना के टेबल में दर्ज न हो। क्योंकि लगभग सभी बड़े देशों ने कोरोना से मौतों के सही आंकड़े छुपाए हैंं। यह दावा वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन इंस्टीट्यूट के विश्लेषण में किया गया है। इसके मुताबिक रूस में कोरोना से मौतों के आंकड़े सरकारी आंकड़ों से 5 गुना ज्यादा हैं। भारत और मैक्सिको में दोगुना रहे हैं। वहीं दुनिया में यह सरकारी आंकड़ों से 113% ज्यादा है।
शोधकर्ताओं ने अपने दावे के समर्थन में 6 प्रमुख पहलुओं को समझाया है। पहला- कोरोना से हुई मौतों के सीधे-सीधे कम बता दिया गया। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पर्याप्त टेस्टिंग नहीं हो पाई। दूसरा- कोरोना मरीजों के लिए हेल्थकेयर सिस्टम का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया। तीसरा- इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि चिंता और अवसाद से कई मरीजों ने आत्महत्या कर ली।
इन्हें कोरोना से मौतें नहीं माना गया। अमेरिका में यह 15,000 रहा। चौथा- आवागमन पर रोक की वजह से हादसों में मौतें घटी, पर मौतों की संख्या बढ़ी। पांचवां- इन्फ्लूएंजा, निमोनिया या सांसों की बीमारी से मौतों में कमी। पर संक्रमण से बढ़ीं। छठा- हृदय रोग या सांस की पुरानी बीमारी से मौतें। इन्हें सबसे ज्यादा खतरा था। इनकी कोरोना से मौत का आंकड़ा 2-3% कम बताया गया।