नई दिल्ली। सौरमंडल में ग्रहों की तरह धूमकेतु सूर्य के चक्कर लगाते रहते हैं। धूमकेतु सौरमण्डलीय निकाय है जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते है। ये सूर्य की परिक्रमा करते हुए अपने पीछे कचरा छोड़ते हुए बढ़ते हैं। जब उल्कापिंड की बरसात होती है तो आसमान में ऐसा नजारा दिखता है मानों वहां अतिशबाजी हो रही है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक दुर्लभ धूमकेतु की खोज की है। इसकी खास बात ये है कि 4000 साल बाद धरती की ओर बढ़ रहा है। आइए जानते हैं इससे पृथ्वी को खतरा है या नहीं….
4000 साल बाद धरती की ओर आ रहा है दुर्लभ धूमकेतु
4000 साल बाद धरती की ओर आ रहा है दुर्लभ धूमकेतु
इस धूमकेतु की खोज एसईटीआई इंस्टीट्यूट के सांइनटिस्ट ने खोज की है। वैज्ञानिकीय गणना के अनुसार यह 200 ईसा पूर्व में धरती के करीब से गुजरा था। इंस्टीट्यूट के मेटियोर एस्ट्रोनॉमर और इस स्टडी के ऑथर पीटर जेनिसकेंस ने बताया कि वो ऐसे धूमकेतु का अध्यन कर रहे हैं जो हमारी धरती के लिए खतरनाक हो सकते है। उन्होंने बताया कि इसे दो हजार ईसा पूर्व देखा गया था। इसके इतने सालों बाद ये धरती की ओर बढ़ रहे हैं। चार हजार साल बाद के बाद आ रहे इन धूमकेतु पर कैमरास फॉर ऑलस्काई मेटियो सर्विलांस सीएएमएस की सहायता से किया जा रहा है।इस कैमरे के जरिए धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, उल्कापिंड और एस्टेरॉयड्स पर दृष्टि रखी जा रही है।
शोधकर्ताओं ने इकारस पत्रिका में एक नए लेख में रिपोर्ट दी है कि वे धूमकेतु के रास्ते में मलबे से उल्का वर्षा का पता लगा सकते हैं जो पृथ्वी की कक्षा के करीब से गुजरते हैं और हर 4,000 साल में एक बार लौटने के लिए जाने जाते हैं। इस कैमरे के माध्यम से वैज्ञानिक ये पता करते हे कि धूमकेतु की ट्रैजेक्टरी, धूमकेतु का रास्ता, धरती के संभावित देश जहां इसके उल्कापिंडों की बारिश हो सकती है। जिसके चलते लोग आसमान में होने वाली आतिशबाजी को देख पांएगे।