अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत शामिल तो है ही इसके साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाने और उसे सुरक्षित करने मे असमर्थ भी है ।भारत भी इन 11 मुल्कों में से एक है।अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान और पाकिस्तान सहित ये 11 देश जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक संकटों के लिए तैयार होने और उनके प्रति रिस्पांस देने की अपनी क्षमता के मामले में अत्यधिक असुरक्षित हैं. इसमें चीन का जिक्र भी किया गया है.
एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने समाचार एजेंसी ने बताया कि राष्ट्रीय खुफिया परिषद की एक ताजा राष्ट्रीय खुफिया रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि ग्लोबल वार्मिंग से भू-राजनीतिक तनाव बढ़ जाएगा और 2040 तक अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो जाएगा. ग्लासगो (Glasgow) में होने वाले 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) से पहले इस रिपोर्ट को जारी किया गया है. अधिकारी ने कहा कि चिंता के देशों में शामिल अफगानिस्तान में गर्मी, सूखा और अप्रभावी सरकार देश में स्थिति को चिंताजनक बना रही है ।
इस बीच, भारत और शेष दक्षिण एशिया में जल विवाद एक ऐसा मुद्दा बनकर उभरेगा, जो भू-राजनीतिक फ्लैशप्वाइंट होगा. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन तापमान वृद्धि की दिशा तय करने में अहम भूमिकाएं निभाएंगे. चीन और भारत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के मामले में दुनिया के क्रमश: पहले और चौथे सबसे बड़े देश हैं. दोनों देशों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बढ़ रहा है जबकि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन क्रमश: दूसरे और तीसरे सबसे बड़े उत्सर्जक हैं तथा उनका उत्सर्जन कम हो रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चीन और भारत दोनों अधिक नवीकरणीय और कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों को शामिल कर रहे हैं. लेकिन कई कारक कोयले के उनके विस्थापन को कम करेंगे. उन्हें अपने विद्युत वितरण तंत्र को आधुनिक बनाने की आवश्यकता है, उनकी कीमत कम करने की आवश्यकता है जिससे ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तरह यह भी कोयले की तरह सस्ती हो, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा की वजहों से ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करनी होगी.’ इसमें कहा गया है, ‘भारत के आर्थिक रूप से विकास करने के कारण निश्चित तौर पर उसके उत्सर्जन में वृद्धि होगी. भारतीय अधिकारियों ने अभी तक शून्य का लक्ष्य तय करने की प्रतिबद्धता नहीं जतायी है और इसके बजाय बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों से उत्सर्जन कम करने का आह्वान किया है.’