अनूपपुर – इन्सान ठान ले, तो वह क्या नहीं कर सकता। गरीबी के माहौल में जीवन बिताने वाली पदमावती सिंह ने स्वसहायता समूह की मदद और अपने मेहनतकश हाथों और पक्के इरादे से केवल अल्प समयावधि में ही आत्मनिर्भरता का नया इतिहास रचकर न केवल अपने जीवन की तस्वीर बदल ली, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी काम देकर उनकी भी जिन्दगी संवार दी।
जिले के ग्राम थाढ़पाथर में कभी बुरे वक्त के हालातों का सामना कर चुकी पदमावती आज अपने कारोबार में दूसरों को रोजगार देने का काम कर रही हैं। श्रीमती पदमावती को वित्तीय मदद और तकनीकी मार्गदर्षन देने से लेकर सलोने सपने बुनने की सोच देने के पीछे एक नहीं अनेक लोग सरकार का अनूपपुर स्थित म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन और मिशन द्वारा गठित जय माता दी महिला स्वसहायता समूह हैं। इस समूह से जुड़ने के बाद पदमावती ने समूह से 10 हजार रुपये का कर्ज लेकर किराना दुकान खोल ली। पदमावती की व्यावसायिक सूझबूझ से दुकान इतनी अच्छी चली कि सालभर के भीतर ही पदमावती ने समूह का कर्ज अदा कर दिया। इसके बाद उन्होंने समूह से 30 हजार रुपये बतौर कर्ज और लेकर आटा चक्की एवं धान मिल शुरु कर दी।
इन व्यवसायों से कमाई बढ़ती गई और पदमावती का उत्साह बढ़ता गया। इस कमाई से उन्होंने चक्की एवं धान मिल का लिया कर्ज भी अदा कर दिया। फिर पदमावती ने ग्राम संगठन से 80 हजार रुपये का ऋण लेकर शासकीय उचित मूल्य दुकान भी खोल ली। उनका हौसला बढ़ता गया और उन्होंने दो लाख रुपये का ऋण और लेकर एक टेक्टर खरीद लिया। इसको उन्होंने कृषि माल ढुलाई के काम में लगा दिया। इससे भी उन्हें अच्छी खासी कमाई होने लगी। ये सभी व्यवसाय पदमावती के लिए ऐसे व्यापार साबित हुए है, जिसने उनके जीवन की तस्वीर ही बदल दी है।
कुछ वर्षों पूर्व स्वसहायता समूह से लिए दस हजार रुपये के कर्ज से किराना दुकान का काम शुरु करने वाली पदमावती ने न सिर्फ अपने अलग-अलग व्यवसाय स्थापित कर लिए हैं, बल्कि इनसे हुई कमाई से पक्का मकान भी बनवा लिया है। साथ ही घर में सुख-सुविधा के तमाम साधन भी जुटा लिए हैं। इसे उनके यहां आई समृद्धि का चमत्कार ही कहें कि जो लोग पहले उनकी गरीबी पर उन्हें हीन नजरों से देखा करते थे, आज वही लोग उन्हें सलाम करते हैं। समाज में उनका रुतबा बढ़ गया है। आत्मविष्वास से भरी पदमावती कहती हैं कि समूह की बदौलत वह आज आत्मनिर्भर हैं। अब उन्हें भविष्य की चिन्ता नहीं रही। म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिषन के जिला परियोजना प्रबंधक शषांक प्रताप सिंह ने बताया कि जिले में स्वसहायता समूहों की मदद से आज तमाम महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं।