लक्ष्मण देवांगन की रिपोर्ट
बालोद- बालोद जिला के अंतर्गत गुंडरदेही बीएमओ डॉ रेणुका प्रसन्नो के द्वारा 2 मई दिन रविवार अवकाश के दिन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गुरेदा का औचक निरक्षण किया गया। जिसमें स्वास्थ्य कर्मचारी घनश्याम पूरी नेत्र सहायक अधिकारी व आरती चंदेल ऐ एनएम, अंजना राठौर सहायक ग्रेड 3 का अनुपस्थिति जो बीएमओ के द्वारा अनुपस्थिति लगाया गया एवं स्पस्टीकरण भी मांगा गया।
स्वास्थ्य कर्मचारी ने बताया कि वे कोरोना संक्रमित थे और वे होम अयोसोलेट थे। इस दौरान बोला गया कि बिना किसी सूचना के शासकीय कत्तर्व्य में अनुपस्थित पाए गए जबकि कर्मचारी कोरोना पोसिटिव था। जिसकी रिपोर्ट प्राथमिक स्वास्थ्य के.के प्रभारी द्वारा 15 अप्रैल को भेजा गया। बीएमओ के द्वारा भी रोज कोरोना मरीजो की सूची सीएमएचओ बालोद को भेजा जाता है उसके उपरांत भी उनके द्वारा अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित लगाना बीएमओ के द्वेष भावना को प्रगट करता है।
जबकि होम आइसोलेशन 17 दिन का रहता है जो शासन के नियमानुसार व आदेशनुसार है कर्मचारी 15 अप्रैल को पोसिटिव आता है और कर्मचारी के पास हॉस्पिटल का ओपीडी पर्ची भी है जिसका कॉपी दिया गया है 17 दिन के बाद 18 दिन में ज्वाइन भी करता है किंतु बीएमओ अपनी मनमानी चलाते हुए संक्रमित कर्मचारियों का 13 दिन के बाद से अनुपस्थिति लगाई गई। जो कि बदले की भावना के कारण किया गया सभी नियमो को भूलकर ऐसा किया जानबूझ के कर्मचारियों को प्रताडित किया जा रहा है।
स्वास्थ्य कर्मचारी घनश्याम पूरी ने कहा कि संक्रमित कर्मचारी जो कोरोना से अभी ठीक हुए भी नही है उनको ऐसा नोटिस देकर उनको मानशिक प्रताड़ना किया जा रहा है जहाँ अन्य विभाग के कर्मचारी घर पर है और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी फ्रंट लाइन में आकर काम कर रहे हैं। अपने और अपने परिवार वालो का जान जोखिम में डालकर काम कर रहे है, उसके बाद कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। जिससे गुंडरदेही ब्लाक के अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों की कोरोना से मौत भी हो चुकी है। कुछ दिन पूर्व में सिरसिदा में स्व. कौशल देशमुख फार्मासिस्ट उसकी पत्नी बेटे व कलंगपुर सुपरवाइजर आर एल जोशी जिसका टीकाकरण में ड्यूटी लगा था उनका भी कोरोना मृत्यु हो गया। जबकि ब्लाक की मुख्या होने के नाते आपकी नैतिक जवाबदारी बनती है कि आपको तत्काल अपना पद त्याग करना चाहिए। ये न करके आप स्वयं एक बार भी उसके परिवार में उसके छोटा लड़का बचा है उनसे भी मिलने नहीं गए न ही किसी भी प्रकार की मदद का आश्वासन आपके द्वारा दिया गया। जिनको अच्छी स्वास्थ सुविधा मिलनी चाहिए वहाँ बीएमओ के द्वारा इस तरह से नोटिस दिया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों के हृदय में ठेस पहुँची है। सवाल यह उठता है कि कोरोना काल में यहाँ रात और दिन कर्मचारी काम कर रहे हैं, और ऊपर से प्रताडित भी हो रहा है आखिर कर्मचारी अपनी प्रतिष्ठा को लेकर जाए तो जाए कहाँ?
इस तरह से स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण रवैये से समस्त स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने बीएमओ को तत्काल हटाने की मांग की है।