गुरचरण सिंह राणा की रिपोर्ट
लिहाजा दोनों ही एक स्कूटी पर सवार होकर पुणे से कानपुर आने के लिए निकल पड़े। चार दिन के लम्बे और थकाने वाले सफर के बाद मंगलवार की सुबह वह लोग मध्य प्रदेश के बॉर्डर तक पहुंच गए मगर वहां पर पुलिस ने इन्हें रोक लिया। दोनों ने बहुत समझाया कागज दिखाए मगर पुलिस मानने को तैयार नहीं थी। आखिरी में थक-हारकर राम प्रताप राणा वहीं बैठ गए। पुणे से बहुत दूर आ चुके थे और कानपुर 300 किलोमीटर दूर था।
घर पहुंचने के जल्दी और मजबूरी में एक पिता-पुत्र ने स्कूटी से ही पुणे और कानपुर के बीच का सफर तय कर लिया। यह लोग चार दिन के लगातार सफर के बाद मंगलवार देर रात लगभग देढ़ बजे अपने घर पहुंचे। परिजन उन्हें देखकर बहुत सुकून में थे मगर उनके इस चार दिन के सफर ने उन्हें बुरी तरह से तोड़ दिया था।
आर्य नगर में किराए के मकान में राम प्रताप राणा का परिवार रहता है। वह एक नट बोल्ट बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते हैं और बेटा आईटी कम्पनी से जुड़ा हुआ है। लॉकडाउन के दौरान दोनों पूणे में ही फंस गए। फैक्ट्री और कम्पनी में दोनों के पास काम नहीं बचा। वहां के खर्चे अलग कमर तोड़ रहे थे। लिहाजा दोनों ने ही घर वापसी का मन बना लिया। उन्होंने वहां के प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई मगर कोई निष्कर्ष नहीं निकला। आखिरी में चार दिन पहले उन्हें एक पास मिला। इसके बाद दोनों ने वहां एक निजी डॉक्टर से अपना चेकअप कराया और उससे भी फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल कर लिया।