रेशम वर्मा कि रिपोर्ट
सरवा-मया दया के ये दोना, माटी उपजावै सोना /आस हमर विश्वास हमर, भुइयां संग अगास हमर/’ नदिया-नरवा,कुआं- बावली, बखरी अऊ खलिहान/इहें बसे हे हमर परान।
खेती किसानी के सुरुवात – छत्तीसगढ़ ह कृसि परधान राज हरे। इंहा के जीविको पारजन ह खेती किसानी से चलथे। अकती के दिन किसान मन ह ठाकुर देव के पूजा पाठ करथे अऊ धान के बोवाई ल भी एक परतीक के रुप म करथे। सब किसान मन ह ठाकुर देव के पूजा पाठ करके खेती किसानी के फसल ह बढ़िया होय कहिके आसीरवाद लेथे। छत्तीसगढ़ म तिहार के अपन अलेगच महत्तम हे। अक्ति तिहार के दिन गांव-गांव म ही नइ, बल्कि अलग -अलग समाज म बिहाव के उल्लास रहिथे।
अक्ति ह छत्तीसगढ़ के लोक तिहार म परमुख तिहार आय। बैसाख के अंजोरी पाख के तीज के दिन अक्ति होथे। सास्त्र पुरान म अक्ति ल अक्छय तृतीया कहे जाथे। अक्छय याने कभु नास नइ होवइया। ये दिन जतका दान , पुन अउ सुभ कारज करे जाय वोकर अक्छय फल मिलथे।
अक्ति के दिन भगवान बिसनु अउ लछमी के भी पूजा करे जाथे। ऐकर पूजा करे के बिसेस लाभ मिलथे। अक्तिसे ही खेती-किसानी के सुरुआत घलो होथे। अक्ति तिहार के महत्तम ये बात ले लगाय जा सकत हे कि ये दिन बिना कोनो पंचांग देखे कुछु भी सुभ अउ मांगलिक काम करे जा सकत हे। जइसे बर-बिहाव, लइकामन के मुंह जूठारना, मुंडन संस्कार, गहना यिा मोटर गाड़ी बिसाय जा सकत हे। मनखेमन ये दिन गंगा स्नान करथें, काबर कि ऐकर से अउ भागवत पूजा से सब्बो पाप खतम हो जाथे। यहू मानियता हावय कि ये दिन अपन गलती बर भगवान से माफी मांगे जाय त माफ हो जथे।
अक्ति तिहार के दिन कमियामन अपन मालिक के खास पहुना होथे। वोला पूरा मान-सम्मान के साथ भोजन कराथे। अक्ति के दिन लइकामन माटी के बने पुतरा-पुतरी के बर बिहाव करथें। अक्ति सौभाग्य अउ समृद्धि के परब आय। ऐकर संग-संग सामाजिक अउ सांस्करीतिक स सिक्छा के सुग्घर तिहार आय अक्ति ह। असो कोरोना प्रभाव के सेती अक्ति ल तिहार के रूप में मनाना बज्र बुता हो गे हे। सब झन घर मे रहव बने बने रहव ये अक्ति के इही गोहार ये। जय जोहार।