शेखर की रिपोर्ट
झारखंड समेत देश भर में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है माना जा रहा है कि महामारी की तीसरी लहर आनी अभी बाकी है ऐसे में इस तरह के आयोजन गंभीर परिणाम देने वाले साबित हो सकते हैं झारखंड में मुंडा पूजा कई सालों से होती आ रही है यहां पूजा 15 दिन तक चलती है इस पूजा में कई लोग नंगे पैर अंगारों पर चलते हैं हालांकि कोरोना के चलते इस बार एक ही दिन में सारे कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया लेकिन लोगों ने ईश्वर की प्रार्थना की महामारी जल्द से जल्द खत्म हो।
मंडा पूजा झारखंड का अनोखी पूजा है इस दौरान श्रद्धा और भक्ति का ऐसा नजारा दिखता है जिसमें बड़े तो बड़े नन्हे बच्चे भी आपके दहकते अंगारों पर सीर केबल झूलते नजर आते हैं उनका उद्देश्य भगवान भोले शंकर में मन्नत मांगना होता है ।इस दौरान सभी अच्छी बारिश की कामना करते हैं। ताकि घर में सुख शांति बनी रहे और परिवार में खुशी आये।
झारखंड का पारंपरिक लोक पर्व मंडा पूजा इस साल भी धूमधाम से मनाया जा रहा है यह पर्व अच्छी बारिश ,खेत बारी ओर समृद्धि के लिए मनाया जाता है इस पर्व के दौरान भक्तों 7 से 9 दिन तक लगातार उपवास करने के बाद आग पर चलने और ऊंचाई पर पीठ पर लगे हुक के सहारे झूलते हैं मंडा पर्व के भक्त आराध्य भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना करते हैं उनका उद्देश्य भगवान भोले शंकर से मन्नत मांगना होता है इस दौरान सभी अच्छी बारिश की कामना करते हैं मंडा पूजा का इतिहास भी काफी प्राचीन है लोग बताते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत नागवंशी राजाओं के द्वारा की गई थी पौराणिक कथाओं के अनुसार झारखंड में मनाई जाने वाली मंडा पूजा भगवान भोले शंकर की पहली पत्नी पति के बलिदान की याद के रूप में मनाई जाती है यह भक्त वह अंगारों पर बच्चों को भी सिर के बल बुलाते हुए निकल जाते हैं सभी भक्तों इसे माता का बात मानते हैं बरहाल पद्धति के नाम पर मासूम बच्चों को भी दहकते अंगारों पर झूला झूला ना थोड़ा अमान्य जरूर लगता है लेकिन यह भी सच है कि भक्ति और श्रद्धा के मामले में तर्क की कोई जगह नहीं