संगीता की रिपोर्ट
वह मां जो अपने कोख में नौ महीने रखकर फिर वह जन्म देती है जरा सोचिए। बेटा होता है तो पूरे समाज में धूमधाम से गाजा बाजा बजते हैं घर में खुशियां होती है मगर बेटी होती है तो घर में ना तो बाजा बजते हैं और न तो नाच गाना। एक बार सोचिए मां ने कैसे पालन-पोषण की थी जब बेटा बच्चा से जवान हुआ होगा अगर आप नहीं सोच पा रहे हैं तो इस खबर को पढ़ने के बाद जरूर सोचे कहां गया मां बेटे का रिश्ता कहां गई इंसानियत दरवाजे पर खड़ी एंबुलेंस में रखा मां का पार्थिव शरीर गिराते बहने और अपनी पत्नी के साथ घर में बंद बेटा झारखंड की राजधानी रांची की यह घटना जहां इकलौते बेटे ने मां की मौत के बाद उनके शव को घर के आंगन तक नहीं आने दिया लोगों को रोकने के लिए घर में ताला तक जड़ दिया बेटियां गुहार लगाते रहे हाथापाई भी हुई लेकिन ना बेटा माना ना बहू इतना ही नहीं आखरी में सब अपनी मां की आखिरी विदाई के लिए बेटियां तैयार हुई तब उस वक्त मिलते ही बेटे ने हिदायत दी कि अंतिम संस्कार भी दूसरे गांव में ले जाकर करो बहने दहाड़ मार कर रोते रहे भैया मां को कोरोना नही था। भाई ने बहन की एक बात भी नहीं सुनी उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी लेकिन भाई और उनकी पत्नी पर तनिक भी असर नहीं पड़ा अंत में दोनों बहनों ने ही मां की शव को कंधा दिया और गांव से 1 किलोमीटर दूर मसला हल में अपनी मां को दफन कर अंतिम रस्म पूरी की वही अपनी मां को 13 दिन तक बेटा पताल देखने भी नहीं आया 55 वर्षीय साधु देवी की मौत सीसीएल की गांधीनगर अस्पताल में हो गई थी उनकी तबीयत बिगड़ने पर बेटी ही रीना देवी व दीपिका कब तक अस्पताल में भर्ती कराई और उनकी सेवा कर रही थी 13 दिन तक मां का इलाज चला लेकिन एक दिन भी बेटे लालू उड़ाओ अस्पताल नहीं गया बेटे को शक था कि उसकी मां को कोरोनावायरस हो गया है इस कारण बेटा अस्पताल नहीं जा रहा था पिता की मौत के बाद मां ने अपनी नौकरी बेटे को दे दी थी लालू उरांव के पिता की सेल में नौकरी करते थे सेवा काल के
दौरान ही वर्ष 2009 में उनकी मृत्यु हो गई थी पत्नी साधु देवी को नौकरी का प्रस्ताव दिया गया लेकिन मां ने बेटे को नौकरी दे दी वर्ष 2011 में बैठे लालू राम को सीसीएल में नौकरी मिली बेटा मां को भूल गया लालू की बहन ने बताया कि अनुकंपा पर नौकरी मिलने के बाद से ही वह हमेशा झगड़ा करता था।