शेखर की रिपोर्ट
कोरोना संक्रमण के कारण लगातार डेढ़ वर्ष से लॉक डाउन है केंद्र सरकार और राज्य सरकार की गलत नीति के कारण राज्य की में प्राइवेट शिक्षकों की कमर भी टूट चुकी है।
झारखंड के तमाम शहरों में हजारों प्राइवेट कोचिंग सेंटर है जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों को शिक्षित करने का काम किया जाता है ।
इन कोचिंग संस्थाओं से पढ़कर अच्छे आईएएस आईपीएस इंजीनियरिंग मेडिकल बैंक रेलवे पॉलिटेक्निक एवं एसएससी सहित अन्य क्षेत्र में अपना भविष्य बनाते हैं ।
कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष एवं धनबाद कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने कोचिंग संस्थान की लगातार गिरती आर्थिक स्थिति पर यह व्यवस्था व्यक्त की उन्होंने कहा कि हमको कोरोना से तो लड़ सकते हैं लेकिन भूख से नहीं।
कोरोना संक्रमण आए संकट से कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले प्राइवेट शिक्षकों की स्थिति बहुत ही बदतर हो चुकी है डेढ़ साल से लॉकडाउन के कारण लगातार कोचिंग संस्था बंद होने से आमदनी पूरी तरह से ठप है शिक्षकों की स्थिति आप चलाने वाली बन चुकी है वही कोचिंग संस्था के ऊपर किराया बिजली बिल मेंटेनेंस समेत अन्य खर्चों का बोझ बढ़ता जा रहा है
ऐसा लगता है कि यह कोरोना काल में बिन किए गए अपराध की सजा मिल रही है हममें से कुछ ऐसे शिक्षक है
जिनकी स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है कुछ शिक्षक ऐसे भी है जो डिप्रेशन ब्लड प्रेशर और शुगर का शिकार हो गए हैं। उसके पास दवा के लिए भी पैसा नहीं है उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से जितना हम नहीं मरेंगे उससे कहीं ज्यादा भूख और कर्ज से मर जाएंगे। सरकार को भी इस मामले पर शीघ्र ही हमारे हित में निर्णय लेना होगा अन्यथा विवश होकर हमें आंदोलन करना पड़ेगा।