संगीता की रिपोर्ट
मई साल का पहला चन्द्र ग्रहण देखा गया है। अब इसके ठीक 15 दिन बाद यानी 10 जून को सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा।ये साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा जो ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि में लगने जा रहा है। खास बात ये है कि इस दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती भी है। खगोलशास्त्रीयों के मुताबिक यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जो कनाडा,एशिया, ग्रीनलैंड,रूस, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में देखा जाएगा।10 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण कैसा होगा? 10 जून को वलयाकार सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इस ग्रहण की सर्वाधिक लंबी अवधि 3 मिनट और 44 सेकेंड की होगी। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्र सूर्य के 97% भाग को इस प्रकार ढक लेता है कि सूर्य बीच में से ढका हुआ प्रतीत होता है लेकिन उसके किनारे का भाग प्रकाशवान होता है। जिससे सूर्य इस दौरान रोशनी का एक छल्ला या अंगूठी बनता हुआ दिखाई देता है। ऐसा दृश्य कुछ ही पलों के लिए दिखाई देता है। सूर्य ग्रहण कहां दिखाई देगा? वलयाकार सूर्य ग्रहण कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस के कई क्षेत्रों में दिखाई देगा। आंशिक सूर्य ग्रहण उतर अमेरिका के अधिकांश भागों, यूरोप और उतर एशिया में कुछ जगहों पर देगा दिखाई। टोरंटो, न्यूयॉर्क, ग्रीनलैंड में नूक, वाशिंगटन डी सी,लंडन या कुतस्क आदि कुछ प्रसिद्ध शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।4 दिसंबर को लगेगा साल का आखिरी सूर्य
ग्रहण
साल 2021 में दो ही सूर्य ग्रहण है। जिसमें दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को लगने वाला है। इस ग्रहण को दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका और आस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण का
सूतक
सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले ही लग जाता है। इसमें किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन सूर्य ग्रहण का सूतक तभी मान्य होगा जब आप के यहां सूर्य ग्रहण लग रहा हो। सूर्य ग्रहण के दौरान खाना बनाना और पकाना दोनों ही काम नहीं किए जाते हैं।किस स्थिति में पड़ता है सूर्य ग्रहण : वैज्ञानिकों की मानें तो सूर्य ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी, चंद्र व सूर्य तीनों एक सीधी रेखा में आ जाते हैं।इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है।इस स्थिति में सूर्य का संपूर्ण प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है जिससे सूर्य का कुछ हिस्सा या पूर्ण हिस्सा चंद्रमा की छाया से ढक जाता है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।